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गौतम चरित्री है। और जो प्रत्यक्षमें बन्दना करता है, वह इन्द्रादिकों द्वारा पूजनीय होता है। राजन्! इस व्रत रूपी वृक्षकी जड सम्यग्दर्शन ही है। अत्यन्त शांत परिणामोंका होना स्कंध है, करुणा शाखायें हैं । इसके पत्ते पवित्र शील हैं तथा . कीति फूल हैं। अतएव यह व्रत रूपी वृक्ष तुम्हें मोक्षलक्ष्मीकी प्राप्ति कराये । उत्तम धर्मके प्रभावसे ही राज्यलक्ष्मी एवं योग्य लक्षमीकी प्राप्ति होती है। धर्मके ही . अद्भुत प्रभावसे इन्द्रपद प्राप्त होता है, जिनके चरणोंकी सेवा देव करते हैं। चक्रवर्तीकी ऐसी विभूति प्रदान कराने वाला धर्म ही है। यही नहीं, तीर्थंकर जैसा सर्वोत्तम पूज्यपद भी धर्मके प्रभावसे ही प्राप्त होता है । अतएव तू सर्वदा धर्ममें लीन रह ।