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________________ गौतम चरित्र प्रथम अधिकार अर्हन्तं नौम्यहं नित्यं मुक्तिलक्ष्मीप्रदायकम् । विबुधनरनागेन्द्रसेव्यमानम्पदाम्बुजम् ॥ जो अरहन्त भगवान मोक्षरूपी सम्पदा प्रदान करनेवाले हैं, जिनके पाद-पद्मोंकी सेवा नर-नागेन्द्रादि सभी किया करते हैं, उन्हें मैं सर्वदा नमस्कार करता हूं। जो सिद्ध भगवान कर्मरूपी शत्रुओं के संहारक हैं, सम्यकत्व आदि अष्टगुणोंसे सुशोभित हैं तथा जो लोक शिखरपर स्थित हो सदा मुक्त अवस्थामें रहते हैं, ऐसे सिद्ध परमेष्ठी भगवान हमारे समस्त कार्योकी सिद्धि करें। जिनेन्द्रदेव महावीर स्वामी, महाधीर वीर और मोक्षदाता हैं एवं महावीर वर्द्धमान वीर सन्मति जिनके शुभ नाम हैं, उन्हें मैं नमस्कार करता हूं । जो इच्छित फल प्रदान करनेवाले हैं, जो मोहरूपो महाशत्रुओंके संहारक है और मुक्ति रूपी सुन्दरीके पति है, ऐसे महावीर स्वामी हमें सद्बुद्धि प्रदान करें। भगवान जिनेन्द्रदेवसे प्रकट होनेवाली सरस्वती, जो भव्यरूपी कमलोंको विकसित करती है, वह सूर्यकी ज्योतिकी भांति जगतके अज्ञानान्धकारको दूर करे । श्री सर्वशदेवके मुख
SR No.009550
Book TitleGautam Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchandra Mandalacharya
PublisherJinvani Pracharak Karyalaya
Publication Year1939
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size3 MB
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