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सूत्रस्थान - अ० ४.
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इंद्रायणं, कौंच, सतावर, विधायरा, विदारीकंद, असगंध, शालपर्णी, कुटकीचला, अतिचला, यह दश बलदायक औषध हैं ॥ ३१ ॥
वर्णशोधक १० द्रव्य | चन्दनतुङ्गपद्मकोशी र मधुक मंजिष्ठाशारिवापयस्यासितालता इति दशेमानिवर्ण्यानि भवन्ति ॥ ३२ ॥
चंदन, तुंग, नागकेशर, पद्मकाष्ठ, खस, मुलैठी, मजीठ, सारिवा, क्षीरका कोली, सफेद दूब यह दश औषध वर्णकारक ( देहका रंग सुधारक ) हैं ॥ ३२ ॥ उत्तम कण्ठ करनेवाले १० द्रव्य
शारिवेक्षुमूलमधुकपिप्पलीद्राक्षाविदारी कैटर्यहंसपदी बृहतीकण्टकारिकइतिदशेमानिकण्ठयानिभवन्ति ॥ ३३ ॥
सारिवा, इक्षुमूल, मुलैठी, पीपल, मुनक्का, बिदारीकंद, कायफल, लाजवंती, बडी कटेली, कटेली, यह दश औषध कंठको शुद्ध करती हैं ॥ ३१ ॥ हृदय के हितकारक १० द्रव्य ।
आम्राम्रातकनिकुचकरमर्दवृक्षाम्ला म्लवेतसकुवलबदरदाडि - ममातुलुङ्गानीतिदशेमानिहृद्यानि भवन्ति ॥ ३४ ॥ इति चतुष्कः कषायवर्गः ।
आम, अंवाडा, वडहर, करौंदा, इमली, अम्लवेत, कलमी वेर, जंगली बेर, दाडिम, विजौरा, यह दश हृदयको प्रिय हैं । यह चार कषायोंका वर्ग हुआ ॥ ३४ ॥
तृप्तिनाशक १० द्रव्य । नागरचित्रकचव्यविडङ्गमर्वागुडूचीवचामुस्तपिप्पलीपटोला - नीतिदशेमानितृप्तिन्नानि भवन्ति ॥ ३५ ॥
सोंठ, चीता, चव्य, विडंग, मूर्वा, गिलोय, वच, मोथे, पीपल, पटोल, यह दश औषध तृप्तिनाशक ( रुचिकारक ) हैं ॥ ३५ ॥
अर्शोनाशक १० द्रव्य | कुटजबिल्वचित्रकनागरातिविषाभयाधन्वयशकदारुहरिद्रावचाचव्यानीतिदशेमानिअर्शोघ्नानिभवन्ति ॥ ३६ ॥
कुडा, वेल, चीता, सोंठ, इलायची, हरड, जवासा, दारुहलदी, वच, चव्य यह दश औषध तृप्तिनाशक हैं ॥ ३६ ॥