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सूत्रस्थान-अ० ४.
(३९) दाहको शमन करता शीतको शांत करनेवाला, उदर्दरोगको शांत करनेवाला, अंगमर्द ( अंगडाई) को शांत करनेवाला,शूलको शांत करनेवाला यह पांच प्रकारका कार्थोंका वर्ग है ॥२२॥
शोणितास्थापन आदि ५ कषाय० । । शोणितास्थापनोवेदनास्थापन संज्ञास्थापनःप्रजास्थापनोवयः- .
स्थापनइतिपञ्चकःकषायवर्गः । इतिपञ्चाशन्महाकषायाः ॥२३॥ रक्तको स्थापन करनेवाला, पीडाको हटानेवाला, बुद्धिको, ठहरानेवाला, संतानकारक, आयुवर्द्धक,यह पांचप्रकारका कषाय है । इसप्रकार पचास महाकषाय होतेहे ॥२३॥
५०० कपाय। · महताञ्चकषायाणांलक्षणोदाहरणार्थव्याख्याताभवान्तातेषामैककस्मिन्महाकषायेदशदशावयविकानकषायाननुव्याख्यास्यामः। तान्येवपञ्चकषायशतानिभवन्ति ॥ २४॥ ऊपर कह पचास ५० कषायोंके लक्षण उदाहरणके लिये कहेहैं । अब उनहींमेंसे एक २ के दश २ अंगोंका वर्णन करतेहैं । वही सब मिलकर पांच सौ होतेहैं ॥२४॥
, जीवनीय १० द्रव्य । तद्यथा। जीवंकर्षभकौमेदामहामेदाकाकोलीक्षीरकाकोलीमद्माषपर्णीजीवन्तीमधुकमितिदशेमानिजीवनीयानिभवन्ति ॥ २५॥ जैसे-जीवक, ऋषभक, मेदा, महामेदा, काकोली, क्षीरकाकोली, मुद्गपर्णी, माषपर्णी, जीवती, मुलहटी, यह दश औषधियोंका जीवनीय गण है ॥ २५ ॥
. बृहणीय १० द्रव्य । क्षीरिणीराजक्षवकबलाकाकोलीक्षीरकाकोलीवाटयायनीभद्रौदनीभारद्वाजीपयस्यर्ण्यगन्धाइतिदशेमानिबृहणीयानिभवन्ति ॥ २६ ॥ क्षीरविदारी, राजक्षवक (दूधिया ), खरटी, काकोली, क्षीरकाकोली, सफेद खरटी, सहदेई, वनकपास, विदारीकन्द, विधायरा, यह दश औषध बृंहणीय गण हैं ॥ २६ ॥