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सूत्रस्थान-अ०२५,
(२८१) कफ पित्त और रक्तको सग्रहण तथा उपशोषण करनेवाले द्रव्याम कुशकी छाल, संग्राहक और रक्तपिचनाशक द्रव्योंमें काश्मरीके फल, संग्राहक वातनाशक और वृष्योंमें पृष्ठपर्णी, वृष्य और दोषनाशक द्रव्योंमें विदारीकंद, संग्राही बलकारक
और वातनाशक द्रव्योंमें खरैटी, मूत्रकृच्छ्र और वातनाशक द्रव्योंमें गोखरू, छेदः नीय दीपनीय अनुलोमकर्ता एवम् वातकफनाशक द्रव्योंमें हांग, भेदन-अनुलोमन-और दीपन-कर्ता एवम् वात कफ हरणकर्ता द्रव्योंमें अमलवेत, स्प्रेसनकर्ता पाचनकर्ता अहिती द्रव्योंमें जवाखार, ग्रहणाविकारनाशक अशोऽघ्न अतिघृतपानजन्य विकार नाशक द्रव्योंमें तक्र, ग्रहणीदोष शोष और अर्शनाशक मांसोंमें मांसभक्षी जीवोंका मांस, रसायन पदार्थोंमें दूध और घीका अभ्यास, वृष्य तथा उदावर्तनाशक द्रव्योंमें परिमाणसे घृत और सत्तुओंका सेवन, दांतोंको वलदेनेवालोंमें और रुचिकारक पदार्थों में तैलको मुखमें धारणकर कुल्ले करना, दाहनाशक लेपोंमें चंदनका लेप तथा गूलर, शीतनाशक लेपनोंमें रासना और अगर, दाह त्वग्दोष और स्वेदके हरनेवाले लेपोमें खस, वातनाशक अभ्यंगों और प्रलेपोंमें कूठ, नेत्रोंको हितकारी वीर्यवर्द्धक केश कण्ठ वर्ण इनको हितकर्ता एवम् विरजनीय और रोपणकर्ता द्रव्योंमें मुलैठी, बल और प्राणों में चैतन्यता प्राप्त करनेवाले पदार्थोमै उत्तम वायु, आम, स्तम्भ शीतता शूल, कम्पनाशक द्रव्योंमें अग्नि सर्वश्रेष्ठ तथा सोंमें प्रधान माना जाताहै ॥ ३८ ॥
जलस्तम्भनायानां, मृद्धृष्टलोष्टनिर्वापितमुदकंतृष्णातियोगप्रशमनानामतिमात्राशनमामप्रदोषहेतूनां,यथाग्न्यभ्यवहरणोऽग्निसन्धुक्षणानां, यथासात्म्यंचेष्टाभ्यवहारःसेव्यानां, कालभोजनमारोग्यकराणां, वेगसन्धारणमनारोग्यकराणां, तृप्तिराहारगुणानां, मद्यसौमनस्यजननानां,मद्याक्षेपोधीधृतिस्मृतिहराणां, गुरुभोजनंदुर्विपाकानामेकाशनभोजनंसुखपरिणामकराणां,स्त्रीषुअतिप्रसङ्गःशोषकराणां,शुक्रवेगनिग्रहाषापढयकराणां,परायतनमन्नमश्रद्धाजननानामनंशनमायुषोहासकराणां प्रमिताशनकर्षणीयानासजीर्णाध्यशनंग्रहणीदृषणानां विषमाशनमग्निवैषम्यकराणां, विरुद्धवीाशनंनिन्दितव्याधिकराणां प्रशमःपथ्यानामायासःसर्वापथ्यानां, मिथ्या