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(२८०) चरकसहिता-भा० टी०। विपनाशको सिरसके वीज, कुष्टके नाश करनेवालोंमें कत्था,वातनाशकोंमें रासना, आयुफे स्थापन करनेवालाम आंवला, सब प्रकारके पथ्योंमें हरड, वृष्यकर्ता और वायुके हरनेवालाम एरंडकी जड, दीपन, पाचन कर्ताओम तथा आनाह-रोगनाशकाम पिपलामूल, दीपनीय और गुदाके शूल तथा शोथनाशकोंम चित्तेकी छाल, संग्राहक और दीपन तथा पाचन द्रव्यों में नागरमोथा, हिचकी, श्वास, खांसी तथा पार्श्वभूलनाशक द्रव्यांमें पोहकर मूल, भस्मकनिवारक, दीपनीय,पाचन और वमनके हरनेवाले एवम् अतिसारके नष्ट करनेवालों में अनन्तमूल,संग्राहक वातनाशक दीपन कफनाशक कफरक्तनाशक विवंधनाशक द्रव्योंमें गिलोय (गुरुच), संग्राहक दीपन वातकफनाशक द्रव्योंमें फच्चा वेलफल, दीपनीय पाचनीय संग्राहक सर्वदोपहारक द्रव्योम अतीस, संग्राहक रक्तपित्तनाशक द्रव्योंमें कमलगट्टा नीलोफर और कमलकेशर सर्वोत्तम मानी जाती है । पित्तकफनाशकोंमें जवासा सर्वश्रेष्ठ है । रक्तपित्तके शमनकरनेवालों में दुरालभा (वसा) पित्त और कफके उपशोपण करनेवालाम गंधप्रियंगु सर्वश्रेष्ठ माना जाताहै ॥ ३७॥
कुटजत्वक्श्लेष्मपित्तरकसंग्राहकोपशोषणानां, काश्मर्यफलंरक्तसंग्राहकरक्तपित्तप्रशमनानां, पृश्निपीसंग्राहकवातह- . रदीपनीयवृष्याणां, विदारिगन्धावृष्यसर्वदोषहराणां, बला संग्राहकवल्यवातहराणां, गोक्षुरकोमूत्रकृच्छ्रानिलहराणां, हिङ्गुनि-सम्छेदनीयदीपनीयभेदनीयानुलोमिकवातकफ- - प्रशमनानामम्लवेतसोभेदनीयदीपनीयानुलोमिकवातश्लेष्मप्रशमनानां, यावशकःस्रंसनीयपाचनीयाशीनानां, तक्राभ्यासोग्रहणीदोपाशीघृतव्यापत्प्रशमनानां, क्रव्यादमांसाभ्यासोग्रहणीदोपशोपाशीनानां, घृतक्षीराभ्यासोरसायनानां, समघृतसक्तुकाभ्यासोवृप्योदावर्त्तहराणां, तैलगण्डपाभ्यासो दन्तवलरुचिकराणां,चन्दनोडम्बरंदाहनिर्वापणानां,रास्नागुमणीशीतापनयनप्रलेपनाननलामन्जकोशीरेदाहत्वग्दोपस्वेदापनयनप्रलेपनानां, कुष्टंवातहराभ्यंगोपनाहयोगिनां,मधुक चक्षुष्यवृपयकश्यकण्ठ्यवर्ण्यवल्यविरजनीयरोपणीयानां,वायु: प्राणसंज्ञाप्रधानहेतनामनिरामस्तम्भशीतगृलोद्वेपनप्रशमनानाम ॥ ३८॥