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________________ सूत्रस्थान-अ०२५. । २७९) यपाचनीयानाहप्रशमनानां,चित्रकमूलंदीपनीयगुदशूलशोथहराणां,पुष्करमूलंहिकाश्वासकासपार्श्वशूलहराणां,मुस्तसंग्राहकदीपनीयपाचनीयानामुदीच्यनिर्वापणीयदीपनीयच्छर्यतीसा. रहंराणां,कट्वङ्गसंग्राहकदीपनीयपाचनीयानाम्।अनन्तासंग्राहिकदीपनीयरक्तपित्तप्रशमनानाममृतासंग्राहिकवातहरदीप- . नीयश्लेष्मशोणितविबन्धप्रशमनांनां, बिल्वंसंग्राहिकदीपनीयवातकफशमनानामतिविषादीपनीयपाचनीयसंग्राहिकसर्व दोषहराणामुत्पलकुमुदपद्मकिलल्काःसंग्राहकरक्तपित्तप्रशमनानां, दुरालभापित्तश्लेष्मोपशोषणानां,गन्धप्रियङ्गुः शोणितपित्तातियोगप्रशमनानाम् ॥ ३७॥ अव हितकर और अहितकर आहारका वर्णन करतेहुए वस्ति आदि कर्म और औषधोंमें उत्तम तथा निकृष्ट आदि द्रव्योंका वर्णन करतेहैं, जीवन रखनेवाले पदार्थोंमें अन्न, वृषानाशक पदार्थोंमें जल,परिश्रम हरनेवाले पदार्थोंमें मद्य, जीवनदायक पदार्थोंमें दूध, पुष्ट करनेवाले पदार्थोम मांस, रुचिकारक, पदार्थों में नमक, हृदयको प्रिय पदार्थों में खट्टा सर्वश्रेष्ठ है । वलकारी पदार्थों में मुर्गेका मांस, वीर्यव. ईक पदार्थों में कुम्भीर ( मगरमच्छ ) का वीर्य, कफ पित्त नाशकोंमें शहद, वात: पित्तहरोंमें घृत, वात कफ नाशकोंमें तैल, कफनाशक कर्मोंमें वमन, पित्तनाशक कमाम विरेचन, वातनाशक कमोंमें वस्तिकर्म, शरीरको नन करनेवालोंमें स्वेद, दृढ करनेवालोंमें कसरत, पुरुषत्व नष्ट करनेवालोंमें क्षार, अन्न पर अरुचि करनेवालोंमें तिन्दुकफल सर्वप्रधान माने जाते हैं । स्वर विगाडनेवालोंमें कैथके कच्चे फल, हृदयको अप्रिय द्रव्योंमें भेडका घृत प्रधान माना जाता है। शोकके हरनेवाले,. स्तनों में दूध वढा वाले, रक्तविकार और रक्त पित्तके नाशकोंमें बकरीका दूधः सर्वश्रेष्ठ है । पित्त-कफ-वर्तकोंमें भेडका दूध, निद्राजनक द्रव्योंमें भैसका दूध,. अभिस्यदकारी द्रव्योंमें मंदक दही, कृशताकारक द्रव्योंमें गवेधुक धान्य, रूक्षकारक द्रव्योंमें उद्दालक धान्य, मूत्रवर्द्धक पदार्थोंमें गन्ना, मलवर्द्धक पदार्थोंमें जव, वायु वर्द्धक पदार्थोंमें जामुन, कफ पिच वर्द्धक पदार्थोंमें तिलोंकी खल. अम्लपित्तकारक पदार्थों में कुल्थी, पित्त-कफ-कारकोंमें उडद एवम् वमन,. आस्थापन और अनुवासन कर्ममें मैनफल प्रधान माना जाता है ! उत्तम विरेचन करनेवालोंमें निशोथकी जड, मृदु विरेचकोंमें एरंडतैल, तीक्ष्ण विरेचकोंमें थोहरका दूध, शिरोविरेचन करनेवालोंमें अपामार्गके वीज,कृमिनष्ट करनेवालोंमें वायविडंग,
SR No.009547
Book TitleCharaka Samhita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamprasad Vaidya
PublisherKhemraj Shrikrushnadas Shreshthi Mumbai
Publication Year1923
Total Pages939
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Medicine
File Size48 MB
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