________________
( ४८ )
चरकसंहिता - भा० टी० ।
सिंदुक (कंद ) चिरौंजी, बेर, खैरसार, सफेद कत्था, सप्तवर्ण, सालवृक्ष, अर्जुनवृक्ष, विजेसार, अरिमेद यह दश औषध उदर्दको शांत करती हैं ॥ ६७ ॥ अंगमर्दनाशक १० द्रव्य | विदारिगन्धापृश्निपर्णीवृहती कण्टकारिकैरण्डकाकोलीचन्दनोशीरैलामधुकानीतिदशेमान्यङ्गमर्द प्रशमनानि भवन्ति ॥६८॥ शालपर्णी, पृष्ठपर्णी, वडी कटेली, छोटी कडेली, एरंडकी जड़, काकोली, चन्दन, उशीर, इलायची, मुलैठी, यह दश औषध अंगमर्द को रोकती हैं ॥ ६८ ॥
शूलनाशक १० द्रव्य । पिप्पलीपिप्पलीमूलचव्यचित्रकशृङ्गवेरमरेिचाजमोदाजगंधाजाजीगण्डीराणीतिदशेमानिशूलप्रशमनानिभवन्ति ॥ ६९ ॥ इति पञ्चकः कषायवर्गः ।
१
पीपल, पीपलामूल, चव्य, चित्रक, सोंठ, मिर्च, अजवायन, अजमोद, जीरा, गंडीर, यह दश औषध शूलको शांत करती हैं । यह पांचप्रकारका कषायवगं हुआ६० रुधिरस्थापक : १० द्रव्य । मधुमधुकरुधिरमोचरसमृत्कपाललो गैरिकप्रियंगुशर्करालाजाइतिदशेमानिशोणितस्थापनानि भवन्ति ॥७०॥
शहद. मुलैठी, रुधिर ( रक्तचन्दन या केशर ), मोचरस, मट्टीका ठीकरा - लोथ, गेरू, प्रियंगु, मिश्री, लाजा (खील) यह दश औषध रुधिरको स्थापन करती हैं ॥ ७० ॥
पीडानिवारक १० द्रव्य |
शालकट्फलकदम्वपद्मकंतुंग मोचरसशिरीपवंजु लैलावालुकाशोकाइतिदशेमानिवेदनास्थापनानिभवन्ति ॥ ७१ ॥
शाल, कायफल, कदंब, पद्मकाष्ट, नागकेशर, मोचरस, सिरस, वेत, एलवालुक अशोक, यह देश पधियांकां वर्ग पीडा नष्ट करताहै ॥ ७१ ॥
संज्ञास्थापक १० द्रव्य । हिंगुकेटय्यरिमेदवचाजीरकवयःस्थागोलोमीजटिलापलंकपाशोकरोहिण्यइतिदशे मानिसंज्ञास्थापनानिभवन्ति ॥७२॥