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सूत्रस्थान-अं०४
.(४९) हींग; कैर्य (वकायनं ), अरिभेद, (दुर्गंधिवाला खैर), बच, ग्रंथिपर्ण, ब्राह्मी, जटामांसी, छड़, गूगल, कुटकी, यह दशं औषध संज्ञास्थापक (बेहोशी दूरकरनेवाले हैं ॥७२॥
सन्तानस्थापन १० द्रव्य ऐन्द्रीब्राह्मीशतवीर्य्यासहस्रवी-मोघाव्ययाशिवारिष्टावाट्य- . पुष्पीविश्वक्सेनकान्ताइतिदशेमानिप्रजास्थापनानिभवन्ति७३॥ ऐद्री (इलायची या इंद्रायण), ब्राह्मी, दूर्वा, सफेददूर्वा,पाड़र, आमला, हरड, कुटकी, खरटी, प्रियंगु यह दश औषध प्रजास्थापक हैं ।। ७३ ॥
- वयस्थापन १० द्रव्य । अमृताभयांधात्रीमुक्ताश्वेताजीवन्त्यतिरंसामण्डूकपर्णीस्थिरा पुनर्नवाइति दशेमानिवयस्थापनानिभवन्ति ॥ ७४ ॥ इति पञ्चक कषायवर्गः। गिलोय, हरडे, यावला, राना, सफेद कोयल, जीवंती, शतावर, मंजीठ, शालि पर्णी, पुनर्नवा, यह दश.औषध अवस्था (आयु) को स्थापन करते हैं। यह पांच कषायोंका वर्ग है ॥ ७४ ॥, . . . .. ..
इति पञ्चकषायशतान्यभिसमस्यपञ्चाशन्महाकषायाः महताञ्चकषायाणां लक्षणोदाहरणार्थव्याख्याताभवन्ति ॥७५॥ नहिविस्तरस्यप्रमाणमस्तिनचाप्यतिसंक्षेपोऽल्पबुद्धीनांसाम
झ्योपकल्पतेतस्मादनतिसंक्षेपणानतिविस्तरेणचोद्दष्टाः । एतावन्तोयल्पबुद्धीनांव्यवहारायबुद्धिमताञ्चस्वालक्षण्यानुमानयुक्तिकुशलानामनुक्तार्थज्ञानायेति ॥ ७६ ॥ ' ' इसप्रकार यह पांच सौ महाकषाय और इनके लक्षण उदाहरणके लिये कहदिये हैं। क्योंकि यदि इनका विस्तार करनेलगें तो अप्रमाण बढजायँगे । और अत्यंत संक्षेपसे कहनेसे अल्पबुद्धिवाले समझनेमें असमर्थ होंगे। इसलिये न अति विस्तारसे और न अति संक्षेपसे इन.. कषायोंका वर्णन करादिया है । इतना कहना ही अल्पबुद्धिवालोंको व्यवहारके लिये उत्तम है.और बुद्धिमान् तो लक्षण,अनुमान युक्ति द्वारा जो विषय कहनेसे रहगया उसको भी समझसकेंगे ॥७५ ॥७६ ॥