________________
(६)
कारण के निमित्त जोनारनी पासे तो विशेष करीने फूल लड़ जावु - कलथी फलनी प्राप्ती थाय छे.
हाथ जोवडाववा केवी रीते जावं.
सारा कपडा पहेरि, सर्व प्रकारनी चिन्तानो त्यागकरी, हस्तनक्षत्रमां पोतानो हाथ गुरुने बतावे. अने गुरुनु कहेल फल कपट रहित थैने भावपूर्वक सांभले.
तथा जितेन्द्रिय, श्रद्धावाला माणसोने गुरूए कहेतु फल सत्य थाय छे. तथा श्रद्धारहित होवाथी फल सत्य थातुनथी.
हाथ जोनार गुरु केवा जोइए
ब्रम्हचारी, क्षमावाला, कृतज्ञ, धार्मिक, पवित्र, चतुर, गुरुनी परंपराथी आवेल, वचनसिद्धिवालो, पोतानी स्त्रीमां रक्त, पोतानी क्रियामां रक्त, सन्तुष्ट, श्रद्धावाला, तपस्त्री, जितेन्द्रिय, अनेक शास्त्रने जाणनार, स्थिर मनवालो, आवा गुरु हाथ जोनार जोइए. तेनीज पासे हाथ जोवडाववो श्रेयस्कर छे.
केवा प्रकारना माणसाने हाथनुं फल कहे.
कुल, जाति, देश, आकार, तथा जन्मना ग्रहो, धर्म, श्रद्धा, इत्यादि गुणो गुरु जोइने फल कहे
दिवसमां हाथ केटलीवार जोवे
दिवसमां हाथ जोनार गुरु हाथ एकनो अथवा बेजणानो हाथ जोबे, गुरु हाथ जोनार पोताना जमणो हाथ जोवडावनारना हाथ उपर राखे जोवे तथा रातना हाथ जोवो होयतो दीवाने पासे राखी तथा दीवानी पूजा करीने हाथ जोवे. तथा स्त्रीनो डावो हाथ जोवे तथा जे पुरुषनी स्त्रीना जेवी प्रकृति छे तेनो हाथ बपोर पछे जोवे, अने पुरुषना स्वभाववाली स्त्रीनो हाथ मध्यान्ह रात्रिना पछे जोवो.
स्त्रीप्रकृतिक पुरुषनो जमणा हाथ करता डाबो हाथ बलवान होय छे ने पुरुष प्रकृतिक स्त्रीनो हाथ डाबा करता जमणो वधारे बलवान होयछे.
" Aho Shrutgyanam"