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पुरुषना डाबा हाथथी स्त्री, माता, पातानो पक्ष, क्षेत्र, बगिचो, रात्रि, शुक्ल पक्ष विगरे फल कहे, आ फल जोवाने डाबो हाथ जोवो. ___ स्त्रीओनु पतिसुख, पितापक्ष, भाइ विगेरे धर्म गाय विगेरे, सरलता, विगेरे कृष्ण पक्ष विगेरे जमणा हाथथी जोवे.
गुरुनी पासे हाथ जोवडावनार फल सांभलीने, चांदिनुं रुपानाणु जोवे पछे पोतानु करवानु काम करे. ____ आवी विधीथी जे गुरु हाथ जोव तो तेने जलदीथी तेने लणे लोक वशीभूत थायछे. अने तेना घरमां सोनानी वृष्टि थायछे, अने राजाओ पण तेनी शिक्षानो स्विकार करे छे.
दिशा स्थापना. तर्जनी आंगलि पूर्वदिशा, मध्यमा, उत्तर दिशा; अनामिका दक्षिण; कनिष्ठा पश्चिम; अने अंगूठाने मध्य देश, आप्रमाणे आंगलियोमांदिशा समजवी.
वार स्थापना. अंगूठामां रविवार, अंगठानो नख सोमवार, तर्जनीना उपरनो भाग मंगल, अंगूठामां बुध, मध्यमामा गुरु, अनामिकामां शुक्र, कनिष्टामां शनि, तथा हाथना पाछला भागमा राहुकेतु आप्रमाणे बार ग्रहोनी स्थापना करवी.
राशि स्थापना. आंगलियोना जे वारपर्व छे तेमा मेष विगेरे राशिओ समजवी.
अनामिकाना प्रथम त्र्यंश ( तीजाभा गमां) मेष राशि बीजा भागमा वृषभ, आप्रमाणे समजवु.
राशि अधिपति मेष राशिनो अधिपति इन्द्र, सिंहनो यम, मकरनो वरुण, तुलानो कुबेर समजवो.
अंगुठामा सवारनो वखत, मध्यमांगुलि मध्यान्हनो वखत, कनिष्टामां सांजनो वखत जाणवो.
"Aho Shrutgyanam"