SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 99
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ टपश्चमम् । ] भाषाटीकासमेतः । प्रतिकृष्टं मतं गुह्ये द्विरावृत्त्यवकर्षिते । प्रतिशिष्टः प्रतिहते दन्ते ख्याते च वाच्यवत् ॥ ६८ ॥ प्रतिसृष्टं भवेत्प्रत्याख्यातपोषितयोस्त्रिषु । बर्कराटः कटाक्षेऽपि तरुणादित्यदीधितौ ॥ ६९ ॥ नारीपयोधरोत्सङ्गकान्तदन्तनखक्षते । शिपिविष्टस्तु खलतो दुश्चर्मणि महेश्वरे ॥ ७० ॥ प्राञ्चलोहे श्रुतिकटः प्रायश्चित्ते भुजङ्गमे । सिंहच्छटा तु पुन्नागकेसरे नागकेसरे ॥ ७१ ॥ टपञ्चमम् । अथ स्याद्दशनोच्छिष्टधुंबे निःश्वासितेऽधरे । लोहे कांस्ये मृदङ्गारशकट्यां रत्नकङ्कणे ॥ ७२ ॥ पावके पटहस्यापि बदरे पात्रचर्घटः ॥ ७३ ।। इति विश्वलोचने टान्तवर्गः ॥ प्रतिकृष्ट-गुह्य ( गुदआदि ), दूसरी- श्रुतिकट-धातुभेद, लगेहुए पापका __ बार बाहाहुवा क्षेत्र, (न०) दूर करना, सर्प, (पुं०) प्रतिशिष्ट-दियाहुवाका फिर लेना, सिंहच्छटा-नागकेसरभेद, नागके विख्यात, (त्रि.)॥ ६८ ॥ सर, (स्त्री० ) ॥ ७१ ॥ प्रतिसृष्ट-नटाहुवा, प्रोषित (परदेश टपंचम । गयाहुवा) (त्रि.) दशनोच्छिष्ट-चुंबन करना, याहबर्कराट-कटाक्ष ( नेत्रकी कोरसे दे- रको श्वास छोडना, होंठ (पु.) खना),मध्याह्नसूर्यकी किरण,॥६९॥ पात्रचर्घट-लोहा, कांसी, मिट्टीकी स्त्रीके कुच और पेट आदिपर प- सिगड़ी, रत्नकंकण, ॥ ७२ ॥ तिका कियाहुवा नखधाव (पुं० ) अग्नि, ढोलका घेरा, (पुं० )॥७३॥ शिपिविष्ट-गंजा (जिसके केश उ. इस प्रकार विश्वलोचनकी भाषा डगयेहों), बुरी चर्मवाला, महादेव, टीकामें टान्तवर्ग समाप्त हुवा । (पुं०)॥ ७० ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy