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________________ विश्वलोचनकोशः चतुर्थम् । पुगानुच्चिङ्गटे मीनभेदे कोपनपूरुषे ॥ ६१ ॥ करहाटोऽब्जकन्देऽपि शल्यद्रौ कुसुमान्तरे । कामकूटस्तु गणिकाविभ्रमे गणिकाप्रिये ॥ ६२ ॥ त्रिषु कार्यपुटो हीके प्रमत्ताऽनर्थकारिणोः । कुटन्नटस्तु कैवर्त्तिमुस्तके शोणके पुमान् ॥ ६३ ॥ कुण्डकीटस्तु चार्वाकवाण्यभिज्ञेपि पुंश्चले । जारजे ब्राह्मणीपुत्रदासीकामुकयोरपि ॥ ६४ ॥ खङ्गरीटस्तु फलकासिधाराव्रतचारिणोः । गाढमुष्टिस्तु कृपणे कृपाणछुरिकादिषु ॥ ६५॥ चक्रवाटः क्रियारोहे पर्यन्ते च शिखातरौ । चतुःषष्टिस्तु संख्यायां बह्वृचेऽपि कलाखपि ॥ ६६ ॥ नारकीटोऽश्मकीटे स्यात्स्वदन्ताशाविहन्तरि । परपुष्टः परभृते परपुष्टाऽपणस्त्रियाम् ॥ ६७ ॥ ८४ टचतुर्थ | उचिगढ़-मच्छीभेद, क्रोधी पुरुष, (पुं० ) ॥ ६१ ॥ करहाट्-कमलकन्द्, मैनफलका वृक्ष, पुष्पभेद, (पुं० ) कामकूट - वेश्याका हावभाव आदि, वेश्यागामी, (पुं० ) ॥ ६२ ॥ कार्यपुट - लज्जावान, प्रमत्त, अनर्थ | कारी, (पुं० ) कुटन्नट-केबटीमोथा, सोनापाठा-वृक्ष, (पुं० ) ॥ ६३ ॥ कुण्डकीट - चार्वाकवाणीका जाननेवाला, जार- पुरुष, जारसे उत्पन्न हुवा ब्राह्मणीका पुत्र, दासी के संग र | [ टान्तवर्गे मण करनेवाला ( पुं० ) ॥ ६४ ॥ खङ्गरीट-ढाल और तलवारकी धारका व्रत धारण करनेवाला (पुं० ) गाढमुष्टि- कंजूस, तलवार छुरी आदि (पुं० ) ॥ ६५ ॥ चक्रवाट - क्रियाका प्रारंभ, गोरा, शिखावृक्ष, (पुं० ) चतुःषष्टि- चौसठ संख्या, (बह्वच वेद ऋचा), चौसठकला (स्त्री०) ॥ ६६ ॥ नारकीट-पत्थरका कीडा, अपनी दईहुई आशाको नष्ट करनेवाला, ( पुं० ) परपुष्ट - कोयल. पक्षी, (पुं०) परपुष्टा - वेश्या ( स्त्री० ) ॥ ६७ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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