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________________ ३३६ विश्वलोचनकोशः- [लान्तवर्गेबल्ली स्यादजमोदायां लतायां कुसुमान्तरे । बालः पुंसि शिशौ केशे वाजिवारणबालधौ ।। ४० ॥ मूर्खेऽपि बालो बालं तु हीबेरे पुनपुंसकम् । बिलं गुहायां रन्ध्रे च विलस्त्विन्द्रये पुमान् ॥ ४१ ।। वेला कालेऽपि सीमायामीश्वराणां च भोजने । दत्तमांसेऽधिवेला स्यात्पयोनाशेऽपि नीरधेः ॥ ४२ ॥ तन्नीरेऽक्लिष्टमरणे राशौ वाचि बुधस्त्रियाम् । भल्लो वाणेऽपि भल्लूके भल्ली भल्लातबाणयोः ॥ ४३ ॥ भालं तु न द्वयोरेव ललाटमहसोर्मतम् । ऋषिभेदे प्लवे भेलो भेलं भीरुहृदि त्रिषु ॥ ४४ ॥ मलस्त्रिप्वेव कृपणे न स्त्री विकिट्टकिल्बिषे । मल्लः पात्रे कपाले च मत्स्यभेदे कपालिनि ॥ ४५ ॥ बल्ली-अजमोद, बेल, पुष्पभेद (स्त्री०) राशि ( समूह ), वाणी, बुधकी बाल-शिशु (छोटा लडका), (त्रि.) स्त्री, ( स्त्री.)॥ ४२ ॥ केश ( बाल ), घोडे और हस्तीका | भल्ल-बाण ( भाला ), रीछ, (पुं०) केशसमूहयुक्त पूँछ, (पुं०) ॥४०॥ भल्ली-भिलावा, बाण (भाला), मूर्ख (त्रि०) (स्त्री०)॥ ४३ ॥ वाल-नेत्रवाला (पुं० न०) भाल-मस्तक, (ललाट), तेज, (न.) बिल-गुफा, छिद्र, ( न० ) बिल- भेल-ऋषिभेद, छोटी नौका, (पुं०) इंद्रका अश्व ( उच्चैःश्रवा ) (पुं०) भेल-डरपोकहृदय (त्रि.) ॥ ४४ ॥ ॥४१॥ मल-कृपण (कंजूस ) (त्रि.) वेला-काल, सीमा, राजाआदिकोंका मल-विष्टा, कानआदिका मल, पाप, भोजन, दत्तमांस (दियाहुवा मांस), (पुं० न०) अधिवेला-समुद्रके जलका नाश, मल्ल-पात्र, कपाल, मत्स्यभेद, कपा समुद्रका जल, एकांतका मरण, लवाला, (पुं०)॥ ४५ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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