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________________ OM लद्वितीयम् । ] भाषाटीकासमेतः। तलस्ताले तलं खड्गमुष्टौ ज्याघातवारणे । वने चपेटे न स्त्री तु स्वरूपाऽऽधारयोस्तलम् ॥ २२ ॥ तल्ली तरुण्यां तल्लस्तु विल्ले पुंसि नपुंसके । तालो दुमान्तरेङ्गुष्ठमध्यमाभ्यां च सम्मिते ॥ २३ ॥ गीतकालक्रियाभावे तालः खङ्गादिमुष्टिषु । तालः स्यात्कांस्यरचितवाद्यभाण्डान्तरे तथा ॥ २४ ॥ करास्फारे करतले तालं तु हरितालके । तुला राशौ पलशते तुल्यतामानभेदयोः ॥ २५॥ बन्धाय गृहदारूणां पीठिकायां सभाजने । तूलः पिचौ पुमांस्तूलमाकाशे ब्रह्मदारुणि ॥ २६ ॥ अपद्रव्ये छदोच्छ्रायखण्डे शस्त्रीछदे दलम् । डुलिः पुंसि मुने दे कमठ्यां तु स्त्रियां डुलिः ॥ २७ ॥ तल-ताड-वृक्ष ( पुं० ) तल-तुला-तुला-राशि, सौ (१००) खङ्गकी मूठ, धनुषके ज्याघातको तोले, तुल्यता, तोलभेद, ॥ २५ ॥ रोकनेवाला, वन, थप्पड, (पुं० घरका काठ बाँधनेके लिये पीन०) वरूप, आधार, (न०) ठिका ( चौकीरूप काष्ठ ), सत्कार, ॥ २२ ॥ (स्त्री०) तल्ली-जवान स्त्री (स्त्री० ) तल्ल-तिल-रूईका गीला फोया, (पुं० ) हींग (पुं० न०) तूल-आकाश, ब्रह्मदारु, (न) ताल-अंगूठा और मध्यमा अंगुलीका ॥२६॥ प्रमाण, ॥ २३ ॥ गानेकी कालक्रियाका मान, खड्न आदिकी दल-अपद्रव्य (खराब वस्तु), पत्ता, Dठ, काँसीका बजानेका पात्र " ऊँचा, टुकडा, छुरीको निवारण ॥ २४ ॥ दोनों हाथ फैलाकर | २॥ दोनों ना फैला करनेवाला द्रव्य, (न०) प्रमाण, ( पुरस ) हथेली, (पुं०) डुलि-मुनिभेद (पुं० ) डुलिहरिताल (न०) । कछवी (स्त्री०)॥ २७ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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