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विश्वलोचनकोशः- [ रान्तवर्गेसहायराजिताजम्बूद्वीपेषु च मता स्त्रियाम् । कूर्परो जानुमात्रेऽपि कफोणावपि कूर्परः ॥ १३८ ॥ कुबेरख्यंबकसखे नदीवृक्षे कुविग्रहे ॥ १३९ ।। कुहरः कोटरे छिद्रे नागराजविशेषयोः । कूबरः कुब्जके चारौ त्रिषु पुंसि युगन्धरे ॥ १४० ॥ केदार आलवालेऽद्रौ क्षेत्रभूभेदशम्भुषु । केनारः कुम्भिनरके शिरःकपालसन्धिषु ॥ १४१ ॥ केसरो बकुले सिंहच्छटायां नागकेसरे । पुन्नागेऽस्त्री तु किंजल्के स्यात्तु हिङ्गुनि केसरम् ।। १४२ ॥ कौटिरुनकुले शके शक्रगोपेऽपि दृश्यते । कोटरो नागरे कूपे पुष्करिण्याश्च पाटके ॥ १४३ ॥ खण्डानं योषितां हस्तक्षतभेदेऽभ्रलेशके।। खदिरी शाकभेदे स्यात्खदिरो बालपुत्रके ॥ १४४ ॥ घीकुँवार,हारसिंगार,जम्बूद्वीप(स्त्री.) केसर-बौलश्री, सिंहका स्कंधके केश, कूर्पर-घुटना, कोहनी (पुं० ) १३८ नागकेसर, पुन्नाग-वृक्ष, (पुं०) कुबेर-यक्षराजा, नदीवृक्ष, कुत्सित- पुष्परज, (पुं० न०) हींग (न०) __ शरीरवाला (पुं०)॥ १३९ ॥ ॥ १४२ ॥ कुहर-वृक्षथोथ, छिद्र, नागभेद, राज- कौटिरु-नौला, इंद्र, वर्षामें होनेवाला भेद, (पुं० )
लाल कीट (पुं० ) कबर-कूबड़ा, सुंदर, (त्रि.) जूवाको, कोटर-नगर में होनेवाला जन, कूवा,
धारनेवाला काष्ठ (पुं० ) ॥१४०॥ नदीका पाट ॥ १४३ ॥ केदार-वृक्षकी क्यारी, पर्वत, क्षेत्र- खंडाभ्र-स्त्रियोंके हाथका व्रणभेद,
भेद, पृथ्वीभेद, महादेव, (पुं०) मेघका लेश (न.) केनार-कुंभीपाक नामका नरक, शिर, खदिरी-शाकभेद ( स्त्री.) कपाल, संधि (जोड़) (पुं०)॥१४१॥ खदिर-खैर-वृक्ष (पुं०) ॥ १४४ ॥
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