SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 224
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २१० विश्वलोचनकोश: संस्थानमाकृतौ सन्निवेशे मृत्यौ चतुष्पथे । स्तननं जलदध्वाने ध्वनिमात्रेऽपि कुञ्चने ॥ १५० ॥ स्थापनं स्यात्पुंसवने समाधावर्पणेऽपि च । स्पर्शनः पवने पुंसि स्पर्शनं स्पर्शदानयोः ॥ १५१ ॥ स्यन्दनं प्रसवे नीरे स्यन्दनस्तिनिशे रथे । स्रंसनं रेचने पाते पृथग्भावातिसारयोः ॥ १५२ ॥ स्वामी प्रभौ विशाखे च हली स्यात्कर्षके बले । अङ्गारधान्यां हसनी हसनं हसिते मतम् ॥ १५३ ॥ हस्तिनी नायिकाभेदे हस्तिनी हस्तियोषिति । हायनो वत्सरे न स्त्री व्रीहिभेदाविषोः पुमान् ॥ १५४ ॥ हिण्डनं सुरते केली हादिनी वज्रविद्युतोः । [ नान्तवगें नचतुर्थम् । अथर्वा द्विभेदे स्याद्वेदेऽथर्व नपुंसकम् ॥ १५५ ॥ संस्थान - आकृति अच्छी तरह बनाहुवा | स्वामिन् - प्रभु ( खामी ), स्वामिका - वासस्थान, मृत्यु, चुराहा, ( न० ) र्त्तिक, (पुं० ) स्तनन - मेघका शब्द, ध्वनिमात्र, सु- । हलिन - किसान, बलदेव, (पुं० ) कड़ना, ( न० ) 11 940 11 हसनी-सिगड़ी ( स्त्री० ) स्थापन - पुंसवन, समाधि, अर्पणकरना हसन - हँसना ( न० ) ॥ १५३ ॥ हस्तिनी - त्रीभेद, हथिनी, ( स्त्री० ) हायन - वर्ष, ( पुं०न० ) ब्रीहिभेद, दीपआदिकी ज्वाला, (पुं०) १५४ हिण्डन - स्त्रीसंग, कीडा, (न० > हादिनी-वज्र, बिजली, (स्त्री० ) नचतुर्थ | ( न० ) स्पर्शन - वायु, (पुं० ) स्पर्शन, स्प शकरना, दानकरना, ॥ १५१ ॥ स्पन्दन - झिरना, जल, ( न० ) स्यन्दन - तिनिश-वृक्ष, रथ, ( पुं० ) संसन - जुलाब, पड़ना, पृथग्भाव, अतिसार ( बहुत दस्त लगना ) | अथर्वन् द्विजभेद, (पुं० ) ( न० ) ॥ १५२ ॥ अथर्व वेदभेद, ( न० ) ॥ १५५ ॥ "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy