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________________ दद्वितीयम् । ] भाषाटीकासमेतः। अथ दान्तवर्गः। दः शुद्धौ देवने दास्तु दातरि च्छेददानयोः ॥ १ ॥ दद्वितीयम् । अन्दुः स्त्रियामलङ्कारे वेदबंधनवस्तुनोः । अब्दः संवत्सरे मेघे मुस्तके पर्वतान्तरे ॥ २॥ कन्दोऽस्त्री शूरणे वृक्षमूले पुंसि पयोधरे । कुन्दो माध्ये पुमांश्चक्रे भ्रमौ निधिसुरद्विषोः ॥ ३ ॥ विष्णुभ्रातरि रोगे च मतः शस्त्रान्तरे गदा । छदः पत्रे पतत्रे च ग्रन्थिपर्णतमालयोः ॥ ४ ॥ छन्दोऽभिप्रायवशयोध/दा कन्यामनीषयोः । नदी सरित्यपि नदः सिन्धौ शोणाविनादयोः ॥ ५॥ अथ दान्तवर्ग। । कुन्द-कुन्द-पुष्पवृक्ष, चक्र, भ्रमणा, दैक । निधिभेद, एक राक्षस, (पुं०) द-शुद्धि, क्रीडा, (पुं० ) गद-विष्णुका भ्राता, रोग, (पुं०) दा-दाता, छेदन, दान, (पुं० )॥१॥ 10 गदा-शास्त्रभेद, (स्त्री० ) दद्वितीय। छद-पत्ता, पक्षीकी पर, गठिवन औअंदु-आभूषण, वेद, बेड़ी (स्त्री०) षधि, तमाल-वृक्ष (पुं० ) ॥ ४ ॥ अब्द-संवत्सर, मेघ, नागरमोथा, प- छंद-अभिप्राय, वश, (पुं०) वैतभेद, (पुं० ) ॥२॥ धीदा-कन्या, बुद्धि, (स्त्री०) ॥५॥ कन्द-जमीकंद, वृक्षकी जड, (पुं० नदी-नदी, ( स्त्री०) नद-सिंधु, न०) नागरमोथा या मेघ (पुं०) शोण-नद, भेडीका शब्द (पुं०) "Aho Shrutgyanam"
SR No.009534
Book TitleVishwalochana Kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Sharma
PublisherBalkrishna Ramchandra Gahenakr
Publication Year1912
Total Pages436
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Dictionary
File Size9 MB
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