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________________ संवत्सराधिकार : (८७) सिद्धान्ते तु - कति णं भंते! संवरा पणगता? गोयमा ! पंच मवच्लरा पण्णत्ता नजहा- णक्खत्तसंवच्छरे, जुगसंवच्छ रे पमाणसंचच्छरे लक्खणसंवच्छ रे, सर्णिचरसंवच्छरे । णक्खतसंवरे कह विहे पण्णत्ते ? गोयमा ! दुवालसविहे - साबणे भद्दवए आसोए कत्तिए मगसिरे पोसे माहे फरगुणे चिसे वसा जिट्टे आसाढे; जं वा बुहम्फइ महग्गहे दुवालस संवच्चछरेहि पणक्खत्तमंडले समाणे इसेणं णक्खत्त संचच्छरे । जुगसंच्छरे मं कइ विहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते. तंजहा - चंदे चंदे अभिवदिए चंदे अभिवढिएचेव सेत्तं जुगसंवच्छ रे । पमाण संवछरे गं भंते ! कह विहे पण्णत्ते ? गोयमा! पंचविहे पण्णत्ते. नंजहा णक्खत्ते चंदे उऊ आहचे अभिवडूिढए सेत्तं प्रमाणसंवच्छ रे । लक्खणसंवच्छरे कह विहे पण्णत्ते ? प्रथम अंश पर बृहस्पति का उदय हो तब समस्त मनुष्यों के हित के लिये साठ वर्ष से प्रथम प्रभव नाम का वर्ष प्रारंभ होता है ॥ ३६ ॥ आ हे भगवन् ! संवत्सर कितने हैं ? गौतम ! संवत्सर पांच हैं--नक्षत्र-संवत्सर १ युगसंवत्सर २, प्रमाणसंवत्सर ३, लक्षण संवत्सर ४, और शनैश्वरसंवत्सर ५ । चन्द्रमा को पूर्ण नक्षत्र मण्डल भोगनेमें जितना समय व्यतीत हो उसको नक्षत्रमास कहते हैं, यह बारह हैं— श्रावण, भाद्रपद, श्विन, कार्त्तिक, मार्गशिर, पौष, मात्र, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख ज्येष्ट, और आषाढ, इन बारह मासों का एक नक्षत्रसंवत्सर होता है, उसकी दिन संख्या ३२७६ हैं॥१॥युगंसंवत्सर पांच प्रकारका है-चंद्र, चन्द्र, अभिवर्द्धित, चन्द्र और अभिवर्द्धितसंवत्सर । कृष्ण प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक २६ ३२ इतने दिन ६२ के प्रमाण वाला एक चन्द्रमास होता है, ऐ से बारह मासों का एक चंद्रसंवत्सर होता है, उसकी दिनसंख्या ३५४१२ है । इस तरह ३१९२१ दिन के प्रमाण वाला १२४ एक अभिवर्द्धित मास होता है, ऐसे बारह मासों का एक अभिवर्द्धितसंवत्सर " Aho Shrutgyanam"
SR No.009532
Book TitleMeghmahodaya Harshprabodha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhagwandas Jain
PublisherBhagwandas Jain
Publication Year1926
Total Pages532
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size12 MB
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