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क्रिया - कोश
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सुक्कपक्खिया चउसु वि समोसरणेसु भवसिद्धिया, नो अभवसिद्धिया xxx
मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया ।
अन्नाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया । सन्नासु चउसु वि जहा सलेस्सा |
सवेदगा जाव नपुंसगवेद्गा जहा अलेस्सा | सकसायी जाय लोभकसायी जहा अलेस्सा । सजोगी जाव – कायजोगी जहा सलेस्सा |
सागाव उत्ता अणागारोवउत्ता जहा अलेक्सा |
एवं नेरइया वि भाणियव्वा, नवरं नायव्वं जं अस्थि । एवं असुरकुमारा वि जाव-: - थणियकुमारा ।
पुढविकाइया सव्वाणेसु वि मज्झिल्लेसु दोसु वि समोसरणेसु भवसिद्धिया वि, अभवसिद्धिया वि । एवं जाव वणरसइकाइया |
as दिय-तेई' दिय- चउरिंदिया एवं चेव । नवरं समंते ।
ओहिनाणे आभिणिबोहियनाणे सुवनाणे एएस चैव दोसु मज्झिमेसु समोसरणे भवसिद्धिया, नो अभवसिद्धिया । सेसं तं चेव ।
पंचिदियत्तिरिक्खजोणिया जहा नेरइया । नवरं नायव्वं मं अस्थि । मणुस्सा जहा ओहिया जीवा ।
वाणव्यंतर - जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।
-- भग० श ३० उ १ । प्र० ३१, ३३, ३४ पृ० ६०८-६ अक्रियावादी जीव भवसिद्धिक भी, अभवसिद्धिक भी होते हैं ।
सलेशी, कृष्णलेशी यावत शुक्ललेशी अक्रियावादी जीव, कृष्णपाक्षिक अक्रियावादी जीव, मिथ्यादृष्टि अक्रियावादी जीव, अज्ञानी, मति श्रुत-विभंग अज्ञानी अक्रियावादी जीव, अहारादि चारों संज्ञाओं में उपयोगवाले अक्रियावादी जीव, सवेदक, स्त्री-पुरुष नपुंसक वेदक अक्रियावादी जीव, सकषायी, क्रोध - मान-माया-लोभकषायी अक्रियावादी जीव, सयोगी, मनोयोगी यावत् काययोगी अक्रियावादी जीव, साकारोपयोगवाले - अनाकारोपयोग वाले अक्रियावादी जीव भवसिद्धिक भी, अभवसिद्धिक भी होते हैं ।
शुक्लपाक्षिक अक्रियावादी जीव केवल भवसिद्धिक होते हैं ।
अक्रियावादी नारकी जीत्र भवसिद्धिक भी, अभवसिद्धिक भी होते हैं ।
सविशेषण अक्रियावादी नारकी के सम्बन्ध में जैसा सविशेषण औधिक अक्रियावादी जीव के सम्बन्ध में कहा वैसा ही कहना लेकिन नारकी के जो-जो विशेषण पाये जायँ उनउन विशेषणों से कहना ।
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"Aho Shrutgyanam"