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क्रिया-कोश
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मान माया लोभ कषायी तथा अकषायी कियावादी जीव, सयोगी, मनोयोगी यावत् कायायोगी तथा अयोगी क्रियावादी जीव, साकारोपयोग अनाकारोपयोगवाले क्रियावादी जीव भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं ।
क्रियावादी नारकी भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं ।
सविशेषण क्रियावादी नारकी के संबंध में जैसा सविशेषण औधिक क्रियावादी जीव के संबंध में कहा वैसा ही कहना लेकिन नारकी के जो-जो विशेषण पाये जायँ उन-उन विशेषणों से कहना
क्रियावादी भवनपति देव भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं ।
सविशेषण क्रियावादी भवनपति देवों के सम्बन्ध में जैसा सविशेषण औधिक क्रियावादी जीव के संबंध में कहा वैसा ही कहना लेकिन भवनपति देव के जो-जो विशेषण पाये जायँ उन-उन विशेषणों से कहना |
क्रियावादी पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीव भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं ।
विशेषण क्रियावादी पंचेन्द्रिय तिर्य चयोनिक जीवों के संबंध में जैसा सविशेषण औधिक क्रियावादी जीव के संबंध में कहा वैसा ही कहना, लेकिन क्रियावादी पंचेन्द्रिय तिर्यचयोनिक जीवों के जो-जो विशेषण पाये जायँ उन-उन विशेषणों से कहना |
क्रियावादी मनुष्य भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक नहीं ।
सविशेषण औधिक जीव के संबंध में जैसा कहा वैसा ही सभी विशेषण सहित क्रियावादी मनुष्य जीव के संबंध में जानना ।
क्रियावादी वाणव्यंतर - ज्योतिषी-वैमानिक देव भवसिद्धिक होते हैं, अभवसिद्धिक
नहीं ।
सविशेषण क्रियावादी वाणव्यंतर- ज्योतिषी वैमानिक देवों के संबंध में जैसा सविशेषण औधिक क्रियावादी जीव के संबंध में कहा वैसा ही कहना, लेकिन क्रियावादी वाणव्यं तर- ज्योतिषी-वैमानिक देवों के जो-जो विशेषण पाये जायँ उन-उन विशेषणों से कहना । '६२४३६ अनंत रोपपन्नक क्रियावादी ( समदृष्टि ) और जीवइंडक :---
किरियाबाई - पुच्छा । गोयमा !
अतरोषवन्नगा णं भंते! नेरख्या किं किरियाबाई वि, जाव वेणइयवाई वि । ( प्र १ )
सलेस्सा णं भंते ! अनंतरोववन्नगा नेरड्या किं किरियाबाई ? एवं चेव, एवं जब पढमुद्दे से नेरइयाणं वक्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्या | नवरं जं जस्स अत्थि अणंतरोववन्नगाणं नेरइयाणं तं तस्स भाणियन्त्रा । एवं सव्व जीवाणं जाव वेमाणियाणं | नवरं अणंतरोववन्नगाणं जं जहिं अत्थि तं तर्हि भाणियवं ।
- भग० श ३० उ २ । प्र १,२ | पृ० १०६
"Aho Shrutgyanam"