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क्रिया-कोश '६६.१८ आयोजिका विशेषण सहित कायिकी क्रियापंचक :
कइ णं भंते! आयोजियाओ किरियाओ पन्नत्ताओ ? गोयमा ! पंच आयोजियाओ किरियाओ पन्नत्ताओ, तं जहा---काश्या जाव पाणाइवायकिरिया, एवं नेरझ्याणं जाव वेमाणियाणं । जम्स भंते ! जीवस्स काइया आयोजिया किरिया अत्थि, तस्स अहिगरणिया किरिया आयोजिया-अत्थि, जस्स अहिगरणिया आयो. जिया किरिया अस्थि, तरस काइया आयोजिया किरिया अस्थि ? एवं एएणं अभिलावेणं ते चेव चत्तारि दंडगा भाणियबा, जस्स, जं समयं, अं देसं, (जं पाएसं) जाव वेमाणियाणं ।
- पण ० प २२ । सू १६१७.१६ ! पृ० ४८२ __ आयोजिका किया पाँच प्रकारकी कही गई है---यथा-कायिकी आयोजिका क्रिया, आधिकरणिकी आयोजिका क्रिया, प्रादेषिकी आयोजिका क्रिया, पारितापनिकी आयोजिका क्रिया तथा प्राणातिपातिकी आयोजिका क्रिया।
जिस प्रकार निर्विशेषण कायिकी क्रियापंचक के आलापक के ( देखो क्रमांक ६६.१४.१६ ) कहे गये हैं उसी प्रकार आयोजिका विशेषण सहित कायिकी क्रियापंचक के आलापक कहने चाहिए।
'६६ १६ कायिकीपंचक क्रिया के उदाहरण :--- .१ मृगवधिक का --
पुरिसे णं भंते ! कच्छसि वा, दहंसि वा, उदगंसि वा, दवियंसि वा, वलयंसि वा नूमंसि वा. गहणंसि वा, गहणविदुग्गंसि वा, पञ्वयंसि वा, पत्रयविदुग्गंसि वा, वर्णसि वा, वणविदुग्गंसि वा मियवित्तीए, मियसंकप्पे, मियपाणिहाणे, मियवहाए गंता 'एए मिए' त्ति का अण्णयरस्स मियस्स वहाए कूडपासं उद्दाइ, तओ णं भंते ! से पुरिसे कइ किरिए पन्नत्ते ?
गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे कच्छं सि वा-जाव-कूडपासं उद्दाइ, तावं च णं से पुरिसे सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए।
से केण?णं भंते ! एवं बुच्चय---"सिय तिकिरिए, सिय चकिरिए, सिय पंचकिरिए ?
गोयमा ! जे भविए उद्दवणयाए, णो बंधणयाए, णो मारणयाए, तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाउसियाए - तिहिं किरियाहिं पुढे ।
जे भविए उद्दवणयाए वि, बंधणयाए वि, णो मारणयाए, तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिंगरणियाए, पाउसियाए, पारियावणियाए-चउहि किरियाहिं पुढे ।
"Aho Shrutgyanam"