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होती है,
कदाचित नहीं होती है ।
वे चार क्रियाएँ नियम से होती हैं ।
क्रिया - कोश
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जिसके मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया होती है उसके
नारकी की तरह असुरकुमार यावत् स्तनितकुमार देव के विषय में जानना । पृथ्वी कायिक से लेकर यावत् चतुरिन्द्रिय जीव के पाँचों क्रियाएँ परस्पर में नियम से होती है ।
तिर्यंचपंचेन्द्रिय योनिक जीव के प्रथम को तीन क्रियाएँ परस्पर में नियम से होती हैं । जिसके ये तीन क्रियाएँ होती है उसके अप्रत्याख्यान तथा मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया भजना से होती है । जिसके अप्रत्याख्यान तथा मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रियाएँ होती हैं उसके उपर्युक्त तीन क्रियाएँ नियम से होती हैं । जिसके उक्त तीन क्रिया के साथ अप्रत्याख्यान क्रिया होती है उसके मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया कदाचित् होती है, कदाचित् नहीं होती है ! जिसके उक्त तीन क्रिया के साथ मिथ्यादर्शनप्रत्ययिकी क्रिया होती है। उसके अप्रत्याख्यान क्रिया नियम से होती है ।
औधिक जीव की क्रियाओं की तरह मनुष्य की क्रियाओं का आलापक कहना चाहिए। (देखो क्रमांक ६५८ )
बाणव्यंतर ज्योतिषी वैमानिक देवों की क्रिया का आलापक नारकी जीव की क्रियाओं की तरह कहना चाहिए ।
६५.१० आरंभिक क्रियापंचक की नियमा भजना समय, देश और प्रदेश की अपेक्षा :
:
जं समयण्णं भंते! जीवस्स आरंभिया किरिया कज्जइ तं समयं पारिग्गहिया किरिया कज्जइ ? एवं एते जस्स १ जं समयं २ जं देनं ३ जं पदेसण्णं ( पएसेण ) ४ चत्तारि दंडगा नेया, जहा नेरश्याणं तहा सव्वदेवाणं नेयव्वं जाव वैमाणियाणं । -- पण्ण० प २२ । सू १६३६ | पृ ४८३ जिस समय, जिस काल में आरम्भिकी क्रिया होती है उस काल में पारिग्रहिकी क्रिया होती है क्या ? इत्यादि प्रश्न ?
जिस प्रकार जिस जीव के आरम्भिकी क्रिया होती है उस जीव के पारिग्रहिकी क्रिया होती है इत्यादि प्रश्न का समाधान जैसे किया गया है ( देखो ६५८ ) उसी प्रकार जिस समय जीव को आरम्भिकी क्रिया होती है उस समय उसको पारिग्रहिकी क्रिया होती है क्या ? इत्यादि आलापक जानने चाहिए ।
" Aho Shrutgyanam"