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किसी प्रकार के हों। आशा है इस विषय में विद्वद्वर्ग अपने सुझाव भेज कर हमें पूरा सहयोग देंगे।
पुद्गल कोश की हमारी तैयारी अधिकांश सम्पूर्ण हो चुकी है । दिगम्बर लेश्याकोश का कार्य भी चल रहा है। साथ ही साथ परिभाषा-कोश का भी संकलन हो रहा है ।
हम जैन दर्शन समिति के आभारी है जिसने कोश प्रकाशन की सारी व्यवस्था की जिम्मेवारी ग्रहण कर ली है तथा संकलन- सम्पादन के काम में भी हमारे लिए सहयोगियों की व्यवस्था कर रही है। हम बंधुवर जबरमलजी भंडारी के अत्यन्त आभारी है जिन्होंने सदा इस कार्य के लिए हमें प्रोत्साहित किया है। हम साहित्य वारिधि श्री अगरचन्दजी नाहटा के भी कम आभारी नहीं हैं जो सदा हमारी तथा हमारे कार्य को खोज खवर लेते रहे हैं तथा हमारे लिये ग्रन्थों को व्यवस्था करते रहे हैं। हम उन सभी देशी-विदेशी विद्वानों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने 'लेश्या-कोश' के ऊपर अपनी सम्मतियाँ भेजकर हमारा उत्साह वर्धन किया है।
हम सर्वश्री नेमचन्दजी गधैया, रामचन्द्रजी सिंघो, मोहनलालजी वैद, कन्हैयालालजी दूगड़, केवलचन्दजी नाहटा, गणेशमलजी चंडालिया आदि-आदि सभी बंधुओं को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने हमारे विषय-कोश-निर्माण-परिकल्पना में हमें किसी न किसी रूप में सहयोग दिया है। सुराना प्रिंटिंग वर्क्स तथा उसके कर्मचारी भी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने इस पुस्तक का सुन्दर मुद्रण किया है।
मोहनलाल बाँठिया श्रीचन्द चोरडिया
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"Aho Shrutgyanam"