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________________ क्रिया-कोश २७ स्वाहस्तिकी क्रिया २७.१ परिभाषा / अर्थ (क) 'साहत्थिया चेव' न्ति स्वहस्तेन नियुत्ता स्वाहस्तिकी । -ठाण० स्था २ । उ १। सू ६० । टोका (ख) स्वहस्तक्रिया अभिमानारूपितचेतसाऽन्यपुरुषप्रयत्न-निर्वृत्या या स्वहस्तेन क्रियते। -- सिद्ध० अ ६ । सू ६ । पृ० १३ (क) यां परेण निवर्त्या क्रियां स्वयं करोति सा स्वहस्तक्रिया । -सर्व अ६ । सू ५ । पृ ३२२ । ला ८ -राज० अ६ । सू ५ ! पृ० ५१० । ला ५६ (घ) परनिर्वहँकार्यस्य स्वयं करणमत्र यत् । सा स्वहस्तक्रियावद्यप्रधाना धीमतां मता ॥ ---श्लोवा अ६ । सू ५। गा १७ । पृ० ४४५ क्रोध, अभिमान अथवा रुष्ट होने के कारण दूसरों को काम से हटा स्वयं अपने हाथों से काम करने से जो किया लगती है वह स्वाहस्तिकी क्रिया कहलाती है। .२७२ भेद साहथिया किरिया दुविहा पन्नत्ता, तंजहा----जीवसाह त्थिया चेव अजीवसाहत्थिया चेव । ठाण° स्था २ । उ १ । सू ६० । पृ० १८६ स्वास्तिकी क्रिया के दो भेद होते हैं, यथा जीवस्वास्तिकी तथा अजीबस्वाहस्तिकी। २७.३ भेदों की परिभाषा अर्थ १. जीवस्वास्तिकी-- यत् स्वहस्तगृहीतेन जीवेन जीवं मारयति सा जीवस्वास्तिकी xxx अथवा स्वहस्तेन जीवं ताडयतः एका। ठाण० स्था २ । उ १ । सू ६० । टीका जहाँ अपने हाथ में धारण किये हुए जीव द्वारा किसी जीव को मारा जाय अथवा अपने हाथ से किसी जोव को मारा जाय तो उस निमित्त से हई क्रिया जीवस्वास्तिकी क्रिया होती है। '२ अजीवस्वाहस्तिकी यच्च स्वहस्तगृहीतेनैवाजीवेन खङ्गा दिना जीवे मारयति सा अजीवस्वाहस्तिकी xxx स्वहस्तेन xxx अजीवं ताडयतः अन्येति । -ठण स्था । २ । उ १ । स ६० । टीका "Aho Shrutgyanam"
SR No.009528
Book TitleKriya kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanlal Banthia
PublisherJain Darshan Prakashan
Publication Year1969
Total Pages428
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size9 MB
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