SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (8) ओ के प्रस्तुत रचनामा कथा-प्रबन्धोनो कोइ निश्चित क्रम देखातो नथी, छता सेनु ं श्रण विभागमा पृथक्करण करी शकाय - (१) अतिहासिक प्रबन्धो, (२) धार्मिक ( शास्त्रीय ) कथाओ, अने (३) लौकिक वार्ताओ, (किंवा दंतकथा, Legends ) ग्रन्थमा अंते वे परिशिष्टो आपवामा आव्या छे. जेमां अकारादि क्रमथी पद्य-सूचि तथा ग्रंथमा भावतो विशेष नामोनी यादी आपवामां आवो छे. ग्रन्थनी शैली — ग्रंथनी भाषा गद्य-पद्य मिश्रित छे, संस्कृत, प्राकृत अने अपभ्रंश सुभाषितो अवतरण रूपे स्थाने स्थाने दृष्टिगोचर थाय छे. संस्कृतने व्याकरणना कठिन प्रयोगोथी मुक्त राखी बने तेम सरक बनाववा प्रयत्न करायो छे. ढोकभाषामा प्रचलित घणावरों शब्दोनुं संस्कृतीकरण करो ग्रंथकारे ओमने ओम ज साचवी राख्या छे. आवा शब्दोनो जथ्यो खारा प्रमाणमा छे, जे भाषा - विशारदो माटे अनेक उपयोगी माहिती पूरी पाडे छे. डा० हरिवल्लभ चूनीलाल भायाणीजीओ या विषयनी विस्तारपूर्वक चर्चा "प्रबन्ध पतीनी भाषा सामग्री अने कथा - सामग्री " ओ नामना अहि अपेक्षा निबन्धमा करी छे. प्रति परिचय — या ग्रंथनुं सम्पादन जे हस्तप्रतना आधारे कयुं छे. तेनी प्रतिसंज्ञा A. आगे छे आ प्रति खाणी ( वडोदरा ) ना श्री जैन श्वे० ज्ञानमन्दिरना उपा० श्रीवीरविजयजी शास्त्र संग्रहनी छे. अने संपादनमा मुख्यतया सविशेष आधारभूत आ ज प्रति छे प्रतिनुं कद १०x४" के. अत्रे दरेक पृष्ठमा १५ पंकिओ छे, लिपि परिमात्रामा छे. प्रतिना ५२७ पृष्ठ छे, प्रतिनी ने बाजु घणास्थळे हाम्रियामा सुधारा- वधारा, पाठ-शुद्धि करेल होइ प्रतिनो ठीक ठीक उपयोग थयानु कल्पी शकाय छे. आ सिवाय 'प्रबन्ध पंचशती'नी अन्य हस्तप्रतो नीचेना भंडारोमा उपलब्ध छे. परंतु सविशेषता न होवाने कारणे पाठ-शुद्धि माटे तेनो उपयोग नहिचत् थयो छे. या प्रतिबोनी स्थल-सूचि नीचे सुजन छे, B. जिनदत्तसूरि ज्ञान भडार, मुंबई, ( पायधुनी, महावीर स्वामि जैन देरासर ) C. मोहनलाल जी वे० ज्ञानभंडार, सूरत. D. हंसविजयजी शास्त्रसंग्रह - बडोदरा, E, लालभाई दडपतभाई भारतीय संस्कृति विद्या मन्दिर- अमदाबाद | या उपरति बर्डिन ( जमनी ) नो लायब्रेरीमा प्रस्तुतमंथनो हस्तप्रत के, आनो लेख V. A. Weber Verzeichniss der Sanskrit and Prakrit Handschriften der Koniglichen "Aho Shrutgyanam"
SR No.009525
Book TitlePanchashati Prabodh Sambandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMrugendravijay
PublisherSuvasit Sahitya Prakashan
Publication Year1968
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy