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________________ ( ५ ) Bibliothek zu Berlin, V. II. 3, Berlin, 1892, II. 3, 1112 ff No. 2020 था नोधमा प्रथनो प्रारम्भ तथा प्रशस्तिनो भाग पण आपवामा आव्यो छे. आ प्रतिनी माइकोफिल्म कोषी प्रो० हामे ( Prof. F. R. Hamm Indologisches Seminar, 53, Bonn, lieb frauencey 7 ) मुनिश्री अम्बूविजयजीनी भलामण द्वारा मने मोकली हती. आ फिल्म ज्यारे मने मळी त्यारे मूल प्रन्थ ( Text ) लगभग छपाई गयो हतो छतां ये पाछळ्थी आ फिल्म वांचता प्रति प्राचीन अने उल्लेखनीय जणाई. प्रतिना १९४ पृष्ठ छे. अने दरेक पृष्ठमा १३ पंति छे. अंतमा लेखक नाम भालुं छे. ॥ छ ॥ ० श्रीम(ड) २० हीरजीनिभंडाररक्षणीक सा० राघवनी लेखक भ० जीवराज । खंभा (त) यतिना भंडारनी प्रति छे, पृ० १९४ ना पृष्ठभागमा ढखेल छे के - पो० ३५ प्र० २६ ॥ आमार - विधि प्रस्तुत प्रथना संपादनमा सहायक थनार उल्लेखनीय व्यक्तिओमां पू० चिदानन्द मुनिजीओ मने सतत उत्साह अने प्रेरणा आपीने मारु कार्य सरल बनाव्यु छे. डॉ० हरिवल्लभ भायाणीजीओ ( अध्यापक, भाषा विज्ञान विभाग, गुजरात युनिवर्सिटी, अमदाबाद ) पोतानो अमूल्य समय आपीने खास आ ग्रंथ माटे विद्वत्तापूर्ण पुरोवचन उखी आपी आ प्रथ गौरव वधायु छे, आ माटे हुं तेमनो अत्यन्त ऋणी छु आज रीते प्रो० सुरेश अं० उपाध्याय ( भारतीय विद्या भवन, संस्कृत संशोधन विभाग, चौपाटी, मुंबई. ) के जेमणे मारा काना अंतसुधी दरेक रीते सलाह- सूचनो आपीने मने अत्यन्त उपयोगी बन्यो छे ते बदल हुं तेमने भूढी शकु तेम नथी. पू. मुनिश्री जंबूबिजयजी म० बने प्रो० अफ. आर. हाम द्वारा प्रतिनो माइक्रोफिल्म हुं मेत्री शक्यो ते बदल तेमनो पण आभारी छु. संपादनना क्षेत्रमा हुं अनभ्यासी होई प्रतिओ माटे क्षमा-याचना. मुंबई, ता. ३-४-६७ "Aho Shrutgyanam" --मुनिश्री मृगेन्द्रमुनि.
SR No.009525
Book TitlePanchashati Prabodh Sambandh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMrugendravijay
PublisherSuvasit Sahitya Prakashan
Publication Year1968
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size9 MB
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