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पाठ तीसरा
श्रावक के अष्ट मूलगुण
प्रबोध – क्यों भाई! इस शीशी में क्या है ? सुबोध – शहद । प्रबोध – क्यों ? सुबोध – वैद्यजी ने दवाई दी थी और कहा था कि शहद या चीनी ( शक्कर)
की चासनी में खाना। अतः बाजार से शहद लाया हूँ। प्रबोध - तो क्या तुम शहद खाते हो ?
मालूम नहीं ? यह तो महान् अपवित्र पदार्थ हैं। मधु-मक्खियों का मल है और बहुत से त्रस-जीवों के घात से उत्पन्न होता है। इसे कदापि
नहीं खाना चाहिये। सुबोध – भाई, हम तो साधारण श्रावक हैं, कोई व्रती थोड़े ही हैं । प्रबोध - साधारण श्रावक भी अष्ट मूलगुण का धारी और सप्त व्यसन का त्यागी
होता है। मधु ( शहद) का त्याग अष्ट मूलगुणों में आता है।
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