________________
आत्मा को स्पर्श करने वाले कर्म के आठ भेद बनते हैं । यह कर्म मुख में लिए हुए विष की तरह आत्मा के गुणों का घात करने वाला होता है । (६७)
कर्म से ही आत्मशक्तियों का महान् पराभव होता है । अतः कर्मों के साम्राज्य का नाश करने के लिए परिवर्तन करना उपयुक्त है । (६८)
यह परिवर्तन सर्वप्रथम संस्कार में करना चाहिए । आत्मा के पुरुषार्थ से यह परिवर्तन सफल हो सकता है । (६९)
प्रथम प्रस्ताव
२५