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________________ अपेक्षा के भंग से दुःख होता है। आशा नष्ट हो जाने से दुःख होता है। लाभ न होने से दुःख होता है । प्राप्त की हानि से दुःख होता है । (३१) कार्यों में असफलता से दुःख होता है । कार्य को करने की असमर्थता से दुःख होता है । कार्य करने पर भी यश न मिलने से दु:ख होता है । अपकीर्ति (बदनामी) से दुःख होता है । (३२) दूसरों के द्वारा वंचना होने से दुःख होता है । प्रतियोगिता में हार जाने पर दुःख होता है। अपनी मानहानि होने पर दुःख होता है। किसी की डांट फटकार से दुःख होता है । (३३) रोग होने से दुःख होता है। शरीर की शक्ति के क्षीण हो जाने से दुःख होता है। भूख-प्यास के शमन न होने से दुःख होता है । निरन्तर थकान दुःख है । (३४) दूसरों के द्वारा की गई उपेक्षा दुःख है। दीनता और दरिद्रता दुःख है। परतन्त्रता परम दुःख है । आपस की लडाई दुःख है । (३५) अपनों का वियोग, अपनो की दुष्टता और अपनों का नाश दुःख है । शत्रुओं की प्रशंसा, उनकी उन्नति और उनका सुख भी दुःख है । (३६) प्रथम प्रस्ताव
SR No.009509
Book TitleSamvegrati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamrativijay, Kamleshkumar Jain
PublisherKashi Hindu Vishwavidyalaya
Publication Year2009
Total Pages155
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size1 MB
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