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८. अपकाय
आकाश में बादल इकट्ठे होते हैं । वर्षा होती है । हमको पानी मिलता है। पानी सागर में, नदी में, कूए में, टंकी में होता है । हमको ये पानी नल से मिलता है। पानी को अपकाय कहते हैं । पानी पीने के उपयोग में लेते हैं, पानी स्नान के उपयोग में लेते हैं, पानी कपड़े, बर्तन और जमीन धोने के उपयोग में लेते हैं, पानी रसोई करने के उपयोग में भी लेते हैं, कुल मिला के पानी का हर जगह बहुत ही उपयोग होता है।
यह पानी स्थावर एकेन्द्रिय जीव है। पानी को हाथ-पैर नहीं होते । पानी को पाँच इन्द्रियाँ नहीं होती । पानी को एक ही इन्द्रिय होती है। स्पर्शनेन्द्रिय। पानी की अनुभव करने की शक्ति केवल स्पर्श तक ही मर्यादित है ।
पानी स्थावर जीव है । वह स्वयं चल नहीं सकता । वह बहता जरुर है परन्तु तकलीफ से बचने के लिए चलने की गति को बढ़ा नहीं सकता । बर्तन या कूए में रहा हुआ पानी तो बहता भी नहीं है। अगर पानी में कोई पेट्रोल से आग लगा दे तो पानी भाग नहीं सकता । पानी को बर्तन में रखकर गरम किया जाए तो पानी भाग नहीं सकता । पानी को भी वेदना का अनुभव होता है । परन्तु वेदना से बचने के लिए वह हलन-चलन नहीं कर सकता। + पानी ७,००० वर्ष तक जिने की क्षमता रखता है। सभी पानी का
आयुष्य इतना लम्बा नहीं होता । पानी का सबसे ज्यादा आयुष्य ७,०००
वर्ष का होता है। + पानी स्पर्श द्वारा अनुभव करने की क्षमता रखता है। ऐसे सजीवन पानी
को हम पीड़ा न दे तो ही हम सच्चे जैन है ।।
पानी की जीने की शक्ति और अनुभव पाने की शक्ति को हमारे हाथों से नुकशानी न हो उसका ख्याल रखना चाहिए ।
हमको कोई परेशान करे तो हमें अच्छा नहीं लगता । उसी तरह पानी को भी कोई परेशान करे तो उसे अच्छा नहीं लगता । पानी लाचार है । वो बिचारा बोल नहीं सकता । हमें समझना चाहिये और पानी को तकलीफ न हो वैसे रहना चाहिये ।
बालक के जीवविचार • ११
सागर में, नदी में, तलाव में, स्वीमींग पल में पानी सजीव होता है। हम उसमें तैरने के लिए गिरते हैं तो पानी के जीवों को तकलीफ होती है।
रसोई घर में, बाथरुम में, पानी होता है । उसको हम वैसे-तैसे फेंकते हैं तो अप्काय के - पानी के जीवों को तकलीफ होती है। पानी में, न्हानेधोने में हम जरुर से ज्यादा पानी लेकर बिगाडते हैं उससे पानी के जीवों को तकलीफ होती है।
वर्षा के दिनों में
बारिश में नहाते हैं, पानी में खेलते हैं, पानी में कुछ डालते हैं तो पानी के जीवों को तकलीफ होती है ।
होली के दिनों में
दूसरे लोगों पर पानी डालते हैं, पानी के गुब्बारे फोडते हैं, पिचकारी में पानी भरकर उडाते हैं तो पानी के जीवों को तकलीफ होती है।
पानी का उपयोग हम बंद नहीं कर सकते । इसलिए पानी के जीवों को तकलीफ तो हमारे द्वारा होनी ही है। परन्तु पानी का उपयोग जितना कम होगा, जितना कम पानी बिगाडेंगे उतनी ही पानी के जीवों को तकलीफ कम होगी।
ज्यादा तकलीफ देंगे तो ज्यादा पाप लगेगा । कम तकलीफ देंगे तो कम पाप लगेगा । जैन पाप नहीं करता । पाप करना पड़े तो जैन बहुत ही अल्पमात्रा में पाप करता है । दूसरों को तकलीफ देना बड़ा पाप है । पानी के जीव एकेन्द्रिय है ।। लाचार और असहाय है। पानी के जीवों की दया पालने से हमारा धर्म सुरक्षित रहता है। मैं जैन हूँ।
अप्काय के जीवों को कम से कम तकलीफ हो उसके लिए मैं हमेशा जागृत रहूँगा ।
१२ • बालक के जीवविचार