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कैसे पढ़ायेंगे ?
लाभार्थी
अपने सन्तानो को धर्म का बोध देने की इच्छा रखनेवाले मा-बाप के लिये यह पाठ्यक्रमशैली का पुस्तक तैयार किया गया है । बालक अकेला इस विषय को नहीं समझ पायेगा । मा-बाप बालक को अपने साथ बिठाकर यह किताब पढ़ायेंगे ।
इतना अवश्य करें। स्कूल और ट्यूशन के टाइम फिक्स होते हैं उसी तरह इस विषय के क्लास का निश्चित समय रखें । सन्तान को पढ़ाने से पहले आप अपने आप इसका अभ्यास कर लें । बालक के लिये क्या कठिन हो सकता है, सोच लें । उसे सरल बनाकर समझाने का प्रयास करें। बालक के हर प्रश्न का ठीक उत्तर दें । कोई भी प्रश्न निरर्थक नहीं होता है। कई बातें ऐसी हैं जिसको कण्ठस्थ करना अनिवार्य है । उसका विशेष ध्यान रखें । मुख शुद्ध रखके ही अध्ययन-अध्यापन करें । सन्तान इस किताब को तीन बार पढ़ेगा । एक बार आपके साथ । दूसरी बार परीक्षा के लिये । तीसरी बार स्वाध्याय के लिये । अवश्य ध्यान दें।
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आप महाराज साहब या शिक्षक के पास बैठकर जीवविचार का विषयवस्तु समझ लें ।