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११६] श्रीदशलक्षण धर्म। Samirmindanev....... nirwade
सत्य परम गुरु पंच सु सारं।
. सत्य पंच गुरु प्रतिमा तारं ।। सत्य सूरि स्वामी वरहारं।
सत्य पाठक गुणनिधि संकारं ॥ ४ ॥ सत्य सुत्रेपठि पुरुष महागण ।
सत्य सुलोकालोक सुधिषण ॥ सत्य परम गुरु वचन सुतारण।
सत्य अणताजिन रिपु वारण ॥ ५ ॥ सत्य सुतत्व सप्त जिन बचना ।
सत्य सुद्रव्य जिनेश्वर वचना ।। सत्य पदारथ केवल-ज्ञानी।
सत्य अंग श्रीद्वादश वाणी ॥ ६ ॥ सत्य सुमेरु मही जिन शासन ।
सत्य स्वर्ग अपवर्ग मही ॥ श्रीअभयनन्दी गुरुचरण सेवक ।
सुमतिसागर जिन कथित सही ॥ ७॥ ॐ हीं उतमसत्यांगधर्माय महाध निर्वपामि इति स्वाहा ।
अथ पंचम शौचांग पूजा। विश्वजीवहितागारं शौचांग सुखमोक्षदं ।
स्थापयामि त्रिवार तं पूजयामि पृथक्-पृथक् ।। ॐ ह्रीं शौचांग .अन्न अवतर अवतर संवौषट् (आह्वाननं) अत्र तिष्ठ
घत्ता ।
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