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________________ वतोद्यापन। [१०५ इतरनिकांतजीवामृहप्रतिपालक । मुनीन्दं गुणवागशि पूजयामि दमीश्वरं ॥ ८॥ ॐ नानिकतमवजीवरक्षणोत्तमक्षमाय अर्घ० ॥ ८ ॥ विकलेन्द्रियत्रयों भेदं जीवराशिप्रपालकं । ग्भः चन्दनगालीयः महामि भवघातकं ॥९॥ ॐ विकलन्द्रियन्नयभेदजीवक्षणोत्तमक्षमाय जलादिकं० । गर्भाद्रयजीवानां पालक सुपतीश्वरं । पंचेन्द्रियप्रतान्तं या रक्षकं प्रयजे सदा ॥ १० ॥ ॐ श्री पंचन्द्रियजीवरक्षणोत्तमक्षमाय जलादिक० ॥१०॥ जलचंदनशालीयः पुप्पनैवेद्यदीपकः । धृपफलभैरवाये प्रथमांग क्षमाधिकं ॥१॥ ॐ हीं उत्तमक्षमाय महाघ निर्वपामि स्वाहा । अथ जयमाला। उत्तमक्षमा सु आदिजिनेश्वर, भरतेश्वर वर बाहुबली । अनन्तवीर्य श्रीकृपभसेन धरि, उत्तम पुरुष सौभाग्यकरी ॥१॥ दया सहित गुणवंत क्षमालय, क्षमाजल क्रोधाग्नि सर्व टालय । जीवमेद क्षमागुण करिपालय,शील सुलक्षण क्षमा सुखालय॥२॥ ध्यान धरे क्षमारक्षण शुद्धा, ज्ञानवंत मुनि क्षमा प्रसिद्धा । प्रथम क्षमा श्रीचरणभूपण, क्षमावल मुनिवर गत बहुदूपण ॥ ३॥ क्षमाथकी क्रोधरी निवला, क्षमाथकी धर्मध्यान सु सबला । क्षमामान मोडेमान रिपुभर, क्षमायोग योगीश्वर शुभपर ॥४॥
SR No.009498
Book TitleDash Lakshan Dharm athwa Dash Dharm Dipak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDeepchand Varni
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, M000, & M005
File Size6 MB
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