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विमोचन
प्रथमावृत्ति
कीमत
प्रकाशक
प्राप्ति स्थान
अक्षरजोडणी
मुद्रक
3 2012
1 Rs. 30/
: दिव्यदर्शन ट्रस्ट
39, कलिकुंड सोसायटी
धोळका, जि. अमदावाद - 387810
www. jainonline.org
हिन्दी ग्रन्थ कार्यालय
9, हीराबाग़, सी. पी. टैंक
मुम्बई
400 004
क्रिएटीव पेज सेटर्स
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पारस प्रिन्ट्स
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-
9.
"सयलकल्लाणनिलयं,
परगुणगहणसरुवं,
नमिऊण तित्थनाहपयकमलं ।
भणामि सोहग्गसिरिजणयं" ॥१॥
जो स्वयं समस्त कल्याण के निलय हैं, ऐसे जिनेश्वरों के चरणारविन्द को नमन कर, मैं सौभाग्य का सृजन करनेवाले पर-गुणग्रहण के स्वरूप को बताता हूँ ।
1. Worshiping the lotus-like feet of the Jinas Who are the abode of all that is auspicious I now state the true way of Appreciating and imbibing good qualities from others. This increases the possibility of attaining liberation.