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सूत्रकृतांग के प्रथम श्रुतस्कंध की विषयवस्तु अध्ययन उद्देशक गाथा विषय
१)
४
समय (समय)
३
२) वेयालिय
(वैतालीय)
८८ स्वसमय - परसमय का निरूपण।
अर्थात् जैन तथा जैनेतर सिद्धांतों
का प्रतिपादन । ७६ सम्बोधि का उपदेश ।
वैतालीय छन्दविशेष में रचित
गाथाएँ। ८२ उपसर्ग सहन करने का उपदेश ।
४
२
३) उवसग्गपरिण्णा
(उपसर्गपरिज्ञा) ४) इत्थिपरिण्णा
(स्त्रीपरिज्ञा) ५) नरयविभत्ति _ (नरकविभक्ति) ६) वीरत्थुई
२
५३ स्त्रीदोष का वर्जन ।
ब्रह्मचर्य साधना का उपदेश । ५२ नरकवर्णन, नरकगति के कारण
तथा निरसन के उपाय । २६ प्रधानता से भ. महावीर की स्तुति
तथा प्रतीक (वीरस्तुति) रूप से
सभी शलाकापुरुषों की स्तुति । ३० विविध प्रकार के शीलभ्रष्ट मुनि
तथा गृहस्थों का वर्णन ।
७) कुसीलपरिभासित -
(कुशीलपरिभाषित)