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आचारांगसून के विविध आयाम (जैन अध्यासन द्वारा सन्मति-तीर्थ के सहयोग से आयोजित
द्वि-दिवसीय चर्चासत्र फरवरी २०११)
प्रस्तावना :
फिरोदिया होस्टेल में लगभग ७० विद्यार्थी-विद्यार्थिनी दो साल से आचारांग खंड १ तथा २ का अध्ययन कर रहे थे । डॉ. नलिनी जोशी ने, फरवरी में उनके लिए आचारांग के चर्चासत्र का आयोजन किया । प्राय: सभी याने ६५ विद्यार्थी उसमें शामिल थे । ।
विषय का चुनाव हरेक विद्यार्थी ने अपने रुचि के अनुसार किया । ‘भाषेषणा', 'ई]षणा', 'शस्त्रपरिज्ञा' एवं 'विमुक्ति' ये अध्ययन काफी लोकप्रिय रहे । आचारांग की सद्य:कालीन प्रस्तुतता का जिक्र भी ३-४ निबंधों में किया गया। चार-पाँच लेखकों ने कविता में ढालकर अपने विचार व्यक्त किये। निबंध-लेखन की मर्यादा फुलस्केप थी । उनका प्रकट वाचन एवं अभिप्राय प्रदर्शन बहुत ही उद्बोधक रहा ।
विषयों की विविधता इतनी अनूठी थी कि उन्हें अंकित करना हमने हमारा कर्तव्य माना । प्रस्तुत लेख में आरंभ में विषय-सूचि दी है । उसके अनन्तर नमूने के तौरपर कुछ लेख दिये हैं । वाचकगण उनका आनन्द उठाएँ और हमें अपने अपने अभिप्राय अवश्य भेजें ।