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\r/क्या कहा क्रमांक
विषय १. मंगलाचरण २. जिनेन्द्र की श्रद्धा की महिमा ३. कुदेवों को नमन करने वाला ठगाया गया ४. मृत्यु से रक्षक एक सम्यक्त्व ही है ५. मिथ्यात्व की महिमा ६. लोकप्रवाह तथा कुलक्रम में धर्म नहीं ७. न्याय कभी कुलक्रम से नहीं होता ८. कुगुरु के निकट वैराग्य की असंभवता
....... ६. संयमी का संताप १०. मिथ्यात्व का दुष्कर फल ११. उत्सूत्रभाषण से जिनाज्ञा का भंग
......... १२. मन्दिर जी का द्रव्य बरतने वाला महापापी है १३. दुराग्रही उपदेश का पात्र नहीं १४. जिनसूत्रभाषी व उत्सूत्रभाषी का विवेचन १५. जिनधर्म को कष्ट सहकर भी जान १६. जिनमत का ज्ञान दुर्लभ है १७. शुद्ध सम्यक्त्व को कहने वाले भी दुर्लभ हैं १८, बहुत गुणवान भी उत्सूत्रभाषी त्याज्य है १६. मोह का माहात्म्य
......... २०. विश्राम का वास्तविक स्थान धर्म ही है २१. ज्ञानी-अज्ञानी की क्रिया- फल में अन्तर २२. सम्यक्त्व सुगुरु के उपदेश से होता है २३. किससे शास्त्र सुनना चाहिये २४. सम्यक् कथा, उपदेश व ज्ञान की पहिचान २५. जिनदेव को पाकर भी मिथ्यात्व क्यों नहीं जाता......... २६. धार्मिक पर्यों के स्थापकों की प्रशंसा
............१८ २७ हिंसक पर्यों के स्थापकों की निन्दा
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