________________
CADOOOD
समर्पण
(आभार) एवं
परम आभार तो है
परापर गुरुओं का (तीर्थंकर सर्वज्ञ वीतराग __सो तो परगुरु और उनकी परिपाटी में चले आए गौतमादि - ऋषि सो अपरगुरु) जिनके 0 कारण इस ग्रंथ की रचना
संभव हो सकी
और
VAJAVAN
उपदेशन
सिद्धान्त रलमाला
ग्रंथ का समर्पण है उन मोक्षाभिलाषी भव्यों को
जो इसके उपदेश
रूपी रत्नों को अपने हृदय में संजोकर उनकी माला से मुक्ति श्री | के कण्ठ को सुसज्जित कर
उसका वरण करेंगे।