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जैसे-जैसे जिनधर्म हीन होता है और जैसेजैसे दुष्टों का उदय होता है वैसे-वैसे सम्यग्दृष्टि जीवों का, सम्यक्त्व और भी हुलसायमान होता जाता है कि पंचमकाल में यही होना है, भगवान ने
ऐसा ही कहा है।
जीवन की कीमत पर भी सम्यक्त्व को न छोड़ना।
जितनी शक्ति हो सो करना व जिसकी
शक्ति न हो उसका श्रद्धान
करना।