________________
जो
पुरुष
सम्यक्त्वरूपी रत्नराशि से सहित हैं वे धन-धान्यादि वैभव रहित हैं तो भी वैभव सहित हैं परन्तु जो पुरुष सम्यक्त्व रहित हैं वे धन रहते
हुए भी दरिद्र
व्रतादि का अनुष्ठान तो दूर ही रहो, एक सम्यक्त्व होते भी नरकादि दुःखों का तो अभाव
हो ही जाता
सम्यक्त्व महा दुर्लभ
अधर्मियों
की संगति छोड़कर धर्मात्माओं की संगति करना-यह
सम्यक्त्व का मूल कारण
है।
जिनवाणी के अनुसार तत्त्वों के विचार में उद्यमी रहना योग्य है। थोड़ा सा जानकर अपने आपको सम्यक्त्वी मानकर प्रमादी होना योग्य नहीं है।