________________
जो जीव मरण पर्यन्त दुःख को प्राप्त होते हुए भी सम्यक्त्व को नहीं छोड़ते हैं उनको देवों का इन्द्र भी अपनी ऋद्धियों के विस्तार की निन्दा करता हुआ प्रणाम करता है क्योंकि वह जानता है कि जिनके दृढ़ सम्यग्दर्शन है वे ही जीव शाश्वत सुख पाते हैं और यह इन्द्र की विभूति तो विनाशीक है, दुःख की कारण है।
(१६२