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जिनवाणी के अनुसार श्रद्धा दृढ़ करना।
जिनवचन सम्यक्त्वादि को पुष्ट करने से सब कल्याणकारी
जिनवाणी के अनुसार निश्चय करके धर्म धारण करना।
योग्य है।
रागादि को बढ़ाने वाले मिथ्या शास्त्र सुनने
योग्य नहीं हैं।
जहाँ कोई जिनवाणी का मर्म नहीं जानता हो वहाँ रहना उचित नहीं है।