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अपनी युक्तिसे मानादि पोषनेको जिनाज्ञा सिवाय प्रवर्तना योग्य नहीं ।
कर ।
क
धर्म के समस्त कार्य जिनाज्ञा प्रमाण
जिसके जिनाज्ञा
जिन आज्ञा
भंग करने मे बहुत पाप
जिन आज्ञा
भंग का भय रखना ।
(प्रमाण)
नहीं
प्रभु के वचनों की आसादना न करना ।
उसके
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जिन आज्ञाका
उल्लंघन न
करना ।
जिन आज्ञा में
रत होना ।
न ही
तो धर्म)
외
भगवान
1
कहा
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है, न दया है।