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अनंत मरण
गाथा ३७
सर्प तो एक ही मरण देता है अर्थात्
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यदि कदाचित् सर्प डसे तो
एक बार ही मरण होता है परन्तु
कुगुरु अनंत मरण देता है अर्थात् कुगुरु के प्रसंग से मिथ्यात्वादि की पुष्टि होने से
निगोद
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नरक
नरक - निगोदादि संसार में जीव अनंत बार मरण को प्राप्त होता है इसलिये हे भद्र !
८ सर्प 3
का ग्रहण करना तो भला है परन्तु कुगुरु का सेवन भला नहीं है, तू वह मत कर ।