________________
और लौकिक वार्ताओं को तो
सभी जानते हैं
तथा वैसे ही
गाथा १६
चौराहे पर पड़ा हुआ रत्न भी मिल सकता है
परन्तु
000
१०६
|||
हे भाई ! जिनेन्द्रभाषित धर्म रूपी रत्न का सम्यक् ज्ञान हो जाना अत्यन्त कठिन है इसलिये जैसे भी बने वैसे जिनधर्म का स्वरूप जानना
योग्य है।