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________________ अष्ट पाहुड़storate स्वामी विरचित 0K आचार्य कुन्दकुन्द DOOR looct RAM ADeo 樂樂樂業先崇明崇明藥藥業業事業蒸蒸事業事業事業業禁藥 (२) दूसरा 'सूत्रक त' अंग है जिसमें ज्ञान की विनय आदि अथवा धर्म क्रिया में स्वमत-परमत की क्रिया के विशेष का निरूपण है। इसके पद 'छत्तीस हजार' हैं। (३) तीसरा 'स्थान' अंग है जिसमें पदार्थों के एक आदि स्थानों का निरूपण है जैसे जीव सामान्य से एक प्रकार का है तथा विशेष से दो प्रकार एवं तीन प्रकार का है इत्यादि-इस प्रकार स्थान कहे हैं। इसके पद 'बयालिस हजार' हैं। (४) चौथा 'समवाय' अंग है जिसमें द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा जीव आदि पदार्थों की समानता का वर्णन है। इसके पद ‘एक लाख, चौंसठ हजार' हैं। (५) पांचवा 'व्याख्याप्रज्ञप्ति' अंग है जिसमें जीव के अस्ति एवं नास्ति आदि जो साठ हजार प्रश्न गणधरदेव ने तीर्थंकर के निकट किये उनका वर्णन है। इसके पद 'दो लाख, अट्ठाईस हजार' हैं। (६) छठा 'ज्ञात धर्मकथा' नामक अंग है जिसमें तीर्थंकर के धर्म की कथा, जीवादि पदार्थों के स्वभाव का वर्णन तथा गणधर के प्रश्नों के उत्तर का वर्णन है। इसके पद 'पांच लाख, छप्पन हजार' हैं। (७) सातवां 'उपासकाध्ययन' नामक अंग है जिसमें ग्यारह प्रतिमा आदि श्रावक के आचार का वर्णन है। इसके पद 'ग्यारह लाख, सत्तर हजार' हैं। (८) आठवां 'अंतक तदश' नामक अंग है जिसमें एक-एक तीर्थंकर के काल में जो दस-दस अंतकृत केवली हुए उनका वर्णन है। इसके पद 'तेईस लाख, अट्ठाईस हजार' हैं। (6) नौवां 'अनुत्तरोपपादिकदश' नामक अंग है जिसमें एक-एक तीर्थंकर के काल में जो दस-दस महामुनि घोर उपसर्ग सहकर अनुत्तर विमानों में उत्पन्न हुए उनका वर्णन है। इसके पद 'बानवे लाख, चवालिस हजार' हैं। (१०) दसवां 'प्रश्नव्याकरण' नामक अंग है जिसमें अतीत-अनागत काल संबंधी शुभाशुभ का प्रश्न यदि कोई करे तो उसका यथार्थ उत्तर कहने के उपाय का वर्णन है तथा आक्षेपिणी, विक्षेपिणी, संवेजनी और निर्वेजनी-इन चार कथाओं का भी इस अंग में वर्णन है। इसके पद 'तिरानवे लाख, सोलह हजार' हैं। (११) ग्यारहवां 'विपाकसूत्र' नामक अंग है जिसमें कर्म के उदय के तीव्र-मंद अनुभाग का द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव की अपेक्षा लिए हुए वर्णन है। इसके पद 'एक करोड़, चौरासी लाख' हैं। 崇帶养添馬艦帶男藥先崇勇崇崇勇攀事業事業事業樂業樂業 崇明崇明崇明聽聽聽聽騰騰崇勇兼業助兼業
SR No.009483
Book TitleAstapahud
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJaychand Chhabda, Kundalata Jain, Abha Jain
PublisherShailendra Piyushi Jain
Publication Year
Total Pages638
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size151 MB
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