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आचार्य कुन्दकुन्द
अष्ट पाहड़ *
दोहा वीर जिनेश्वर कूं नमूं काल पंचमा आदि मैं
,
अर्थ
卐業卐業
स्वामी विरचित
अब
गौतम गणधर लार ।
भये सूत्र करतार ।।१।।
गौतम गणधर सहित उन वीर जिनेश्वर को नमन करता हूँ जो पंचम काल के
प्रारम्भ में सूत्र के कर्ता हुए ।।१।।
इस प्रकार मंगल करके श्री कुन्दकुन्द आचार्यकृत प्राकृत गाथाबद्ध जो 'सूत्रपाहुड़'
है उसकी देशभाषामय वचनिका लिखते हैं
२-५
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卐卐糕卐糕糕券