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1. गाथा विवरण
क्रमांक
अनुक्रम
विषय
१. सूत्र की महिमागर्भित सूत्र का स्वरूप
२. दो प्रकार के सूत्र को जानकर मोक्षमार्ग में प्रवर्तने वाला भव्य है
३. सूत्र में प्रवीणता संसारनाशक है इसका द ष्टान्त सहित
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समर्थन
४. सूत्र सहित पुरुष संसार में नष्ट नहीं होता
५. जिनोक्त सूत्रगत जीवाजीवादि पदार्थों का ज्ञाता ही सम्यग्दष्टि है
६. व्यवहार व परमार्थ-दो भेद रूप सूत्र के ज्ञान का फल ७. सूत्र के अर्थ और पद से रहित जीव मिथ्याद ष्टि है। 8. जिनसूत्र से भ्रष्ट हरिहरादि तुल्य मनुष्य को भी सिद्धि की
अशक्यता
9. उत्कृष्ट आचरणधारी संघनायक भी स्वच्छन्द मुनि मिथ्याद ष्टि है
१०. जिनसूत्र में दिगम्बर पाणिपात्र एक ही मोक्ष का मार्ग है, शेष सर्व अमार्ग हैं
पष्ठ
११. संयम सहित एवं आरम्भ परिग्रह रहित मुनि ही वन्दनीय हैं। १२. कर्मनिर्जराप्रवीण परिषहविजयी मुनि वंदनीय हैं
१३. दिगम्बर मुद्रा के सिवाय वस्त्रधारी संयमी इच्छाकार करने
योग्य हैं
२-३
२-६
2-6
२-१४
२-१५
२-१५
2-96
२-२१
२-२२
२-२३
२-२३
२-२४
२-२५
२-२५