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NAYANNAVA
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आचार्य कुन्दकुन्द
● अष्ट पाहुड़
स्वामी विरचित
हग
दोहा
जिन मुद्रा धारक मुनी, निज स्वरूप कूं ध्याय ।
कर्म नाशि शिव सुख लयो, वंदौं तिनिके पाय । । १ । ।
अर्थ
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जिन जिनमुद्रा के धारक मुनियों ने निज स्वरूप का ध्यान करके कर्मों का नाश कर
मुक्ति सुख को पा लिया उनके चरणों की मैं वंदना करता हूँ ।।१।।
इस प्रकार मंगल के लिये जिन मुनियों ने शिव सुख पाया उनको नमस्कार करके
श्री कुन्दकुन्द आचार्यकृत प्राकृत गाथाबद्ध 'लिंगपाहुड़' नामक ग्रन्थ है उसकी देशभाषामय वचनिका लिखते हैं :
७-५
卐糕糕卐
#米糕業出版